अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज की कैंटीन में गोमांस परोसे जाने के आरोप प्राथमिक जांच में गलत पाए गए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जे रविंद्र गौड़ ने रविवार को यहां बताया कि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा शिकायत किए जाने पर पुलिस की एक टीम ने फौरन मेडिकल कालेज कैंटीन जाकर तलाशी ली लेकिन वहां कोई भी आपत्तिजनक या प्रतिबंधित सामग्री नहीं मिली।
मालूम हो कि महापौर शकुंतला भारती की अगुवाई में भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन कर पुलिस से मांग की थी कि वह जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में स्थित कैंटीन में गोमांस परोस रहे ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगा।
सोशल मीडिया में मेडिकल कालेज कैंटीन के बताए जा रहे एक मेन्यू बोर्ड की फोटो वायरल होने के बाद यह विवाद पैदा हुआ था। उस मेन्यू में ‘बीफ बिरयानी’ नाम से एक व्यंजन का नाम लिखा था।
यह खबर फैलने पर एएमयू के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने कैंटीन का मुआयना किया और कहा कि जो बिरयानी गाय के मांस वाली बताई जा रही है, वह दरअसल भैंस के गोश्त से बनाई गई है।
एएमयू के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट किया था कि विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने करीब एक सदी पहले ही यूनीवर्सिटी की कैंटीन में गोमांस का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगायी थी, ताकि हिंदू भाइयों की आस्था को ठेस ना पहुंचे
मालूम हो कि महापौर शकुंतला भारती की अगुवाई में भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन कर पुलिस से मांग की थी कि वह जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में स्थित कैंटीन में गोमांस परोस रहे ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगा।
सोशल मीडिया में मेडिकल कालेज कैंटीन के बताए जा रहे एक मेन्यू बोर्ड की फोटो वायरल होने के बाद यह विवाद पैदा हुआ था। उस मेन्यू में ‘बीफ बिरयानी’ नाम से एक व्यंजन का नाम लिखा था।
यह खबर फैलने पर एएमयू के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने कैंटीन का मुआयना किया और कहा कि जो बिरयानी गाय के मांस वाली बताई जा रही है, वह दरअसल भैंस के गोश्त से बनाई गई है।
एएमयू के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट किया था कि विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने करीब एक सदी पहले ही यूनीवर्सिटी की कैंटीन में गोमांस का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगायी थी, ताकि हिंदू भाइयों की आस्था को ठेस ना पहुंचे
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