सरवर इक़बाल खान |
केंखानद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनिवार्यता पर मशहूर समाजिक कार्यकर्ता सरवर इक़बाल खान. ने RSS को निशाना बनाया। सरवर इक़बाल खान ने ये बात आज पुर्वाचँल पोस्ट से एक विशेष बात चित में कही सरवर ने कहा कि RSS से जुड़े लोग खुद को देशभक्त मानते हैं। अगर ऐसा है तो वे आरएसएस मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज क्यों नहीं फहराते।
सरवर इक़बल ने कहा कि 27 सितंबर 1948 को देश की पहली सरकार आरएसएस को राष्ट्रविरोधी घोषित कर चुकी है। उस वक्त पीएम कार्यालय से जारी बयान में कहा गया था कि इनके खिलाफ बंटवारे के वक्त राष्ट्रविरोध गतिविधियों के साक्ष्य सरकार के पास हैं।
यही नहीं सरवर कहते हैं कि जिस सरदार पटेल की ये बड़ी मूर्तियां लगा रहे हैं, 1948 में ही उन्होंने पंडित नेहरू को लिखे पत्र में इन्हें एक विशेष समुदाय के लोगों के कत्ल दोषी करार दिया था। 1948 में सरदार पटेल ने इन्हें नेशनल फ्लैग मानने को कहा था, जिसे इन्होंने नहीं माना।
आरएसएस मुख्यालय पर अब भी भगवा झंडा फहरता है। देश का तिरंगा नहीं। ये संगठन महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता भी नहीं मानता। यहां उन्होंने सवाल खड़ा किया कि राष्ट्र विरोधी कौन। सरवर ख़ान ने कहा कि जर्मनी में जैसा नाजियों ने किया। वही साजिश यहां की जा रही है।
पहले हैदराबाद और अब जेएनयू में सिविल लिबर्टीज को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है
यूनिवर्सिटी में मुद्दों पर
बहस बंद करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए एबीवीपी का इस्तेमाल किया जा रहा
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