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Thursday, May 12, 2016

AMU में हुई मोहम्मद वाकिफ और मोहम्मद महताब खान की हत्या कि सी बी आई से जाँच की माँग को लेकर कैनडील मार्च






जामिया नगर के ओखला बस स्टैंड से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई मोहम्मद वाकिफ और मोहम्मद महताब खान की हत्या कि सी बी आई से जाँच की माँग को लेकर कैनडील मार्च बटला हाउस होते हुए डा. ज़ाकिर हुसैन के मक़बरे पर सरवर इक़बाल खान , मोहम्मद मुस्लिम और मोहम्मद असलम कि क़ेयादत में खत्म हुआ । इस मौके पर सरवर इक़बाल खान ने कहा कि सरकार सी बी आई से जाँच कराए और मलजमीन को सज़ा दे सरवर ने आशंका ज़ाहीर कि के हो सकता है विशेष ताकत जो ए एम यु को बदनाम करने की साज़ीश कर सकती है ।सी पी आई के ओखला सचिव श्री मोहम्मद मुस्लिम ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी को जो लोग बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं उसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा । सरकार सीबीआई जांच करए। इस मौक़े पर मो इमरान, मो अयुब अंसारी ,मोहम्मद, मोहम्मद फारूक़ खान, शहंशाह खान,मोहम्मद आसीफ ख़ान,वकील जौहरी ने भी खेताब किया । मार्च को तंज़ीमें इसाफ ,एस डी पी आई, ए आई आई एम अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के पूर्व छात्र और जामिया मिलाया के सैकड़ो छात्र मौजुद थे ।

Saturday, March 19, 2016

सोशल मीडिया में वायरल हुई नाबालिग के साथ जेल अधीक्षक की आपत्तिजनक तसवीर



किशनगंज : स्थानीय मंडल कारा में तैनात जेल अधीक्षक कृपा शंकर पांडे की स्थानीय सुभाषपल्ली निवासी एक नाबालिग के संग आपत्तिजनक तसवीर व वीडियो सोशल नेटवर्किंग साइट में वायरल हो जाने के बाद सनसनी फैल गयी वहीं स्थानीय पुलिस ने भी मामले को संज्ञान में लिया है.

मंगलवार को एसपी राजीव रंजन के निर्देश के बाद एसडीपीओ कामिनी बाला  मामले की जांच के लिए मंडल कारा जा पहुंची. जहां बंद कमरे में जेल अधीक्षक से पूछताछ की गयी़  इसके बाद एसडीपीओ ने बताया कि अब तक सिर्फ जेल अधीक्षक से ही पूछताछ की गयी है तथा नाबालिग से पूछताछ के बाद ही इस संबंध में कुछ कहा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि पूछताछ के क्रम में श्री  पांडे ने अपने उपर लगे  आरोपों को निराधार बताते हुए वीडियो में खुद  की तसवीर को सही बताया, परंतु नाबालिग को अपनी पुत्री समान बताया है.
क्या कहते हैं जेलर
जेल अधीक्षक  कृपा शंकर पांडे ने कहा कि मुझे बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि  युवती के संग उनके संबंध बाप-बेटी के रिश्ते के समान हैं.
क्या कहती हैं एसडीपीओ
तसवीर व वीडियो के संबंध में एसडीपीओ कामिनी बाला ने कहा कि भारतीय संस्कार में किसी पिता द्वारा बेटी समान युवती के संग इतने अंतरंग संबंध कदापि नहीं हो सकते हैं

Thursday, March 17, 2016

नो शराब इन बिहार, पकड़े जाने पर नशा टुट जाए

बिहार कैबिनेट ने पूर्ण शराब बंदी और शराबखोरी को लेकर अपने वायदे के अनुरूप काम करना शुरू कर दिया है. आज कैबिनेट में सार्वजनिक स्थल पर शराब पीने वालों के लिये कड़ी सजा के साथ पांच लाख रुपये जुर्माने का फैसला लिया गया है.  नये प्रावधान में अगले महीने यानी अप्रैल से सार्वजनिक जगहों पर शराब पीने या बेचने वालों को दस साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक जुर्माना भी देना होगा.  यह निर्णय बुधवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया. बताया गया है कि यह प्रावधान पुलिस पर भी लागू होगा. यदि कोई पुलिस किसी निर्दोष को शराब मामले में फंसाने में शामिल पाया गया तो उन्हें सख्त सजा का सामना करना पड़ेगा. पूर्व में इस तरह के प्रावधान नहीं थे.

सदन में लाया जायेगा विधेयक
जानकारी के मुताबिक यह विधेयक प्रावधान विधान मंडल के चालू सत्र में पारित कराया जायेगा. इसे राज्य सरकार एक अप्रैल से पूरे राज्य में लागू करेगी. बैठक में 28 एजेंडों का स्वीकृत किया गया. सूत्र ने बताया कि उच्च शिक्षा में प्रोन्नति और नियुक्ति के लिए गठित जस्टीस एनएम झा कमेटी के कार्यकाल को छह माह का विस्तार देने का निर्णय लिया गया है.  चीनी मिलों को इथेनॉल बनाने की अनुमति दी गयी है वहीं राज्य में स्प्रीट बनाना प्रतिबंधित कर दिया गया है. महिला पोलिटेकनिक कॉलेजों में महिला होस्टल के लिए राशि स्वीकृत किया गया है.
कई अधिकारी हुये बरखास्त
कैबिनेट की बैठक में कई डॉक्टर, बिप्रसे के अधिकारी और ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी को बरखास्त करने का निर्णय लिया गया है. बरखास्त होने वालों में डॉ ओम प्रकाश, डॉ जवाहर लाल प्रसाद, डॉ कलीमुद्दीन, और बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी और ग्रामीण विकास विभाग के ओएसडी मनोज कुमार शामिल हैं. सूत्र ने बताया कि बैठक में स्वास्थ्य विभाग ने 78 आयुर्वेदिक, 37 यूनानी सहत कुल 217 आयुष डॉक्टरों को प्रथम और द्वितीय एसीपी और द्वितीय एमएसएपी देने का निर्णय लिया गया है.
नगर निकायों में सफाई की समसया को दूर करने के लिए समूह ग के पद पर सेवानिवृत कर्मियों को संविदा के आधार पर नियुक्त करने की अनुमती दी गयी है. कहा गया है कि इससे नगर निकाय क्षेत्रों में सफाई की समस्या को दूर किया जायेगा. जिला परिषद और नगर निकायों में तैनात 20 हजार माध्यमिक शिक्षकों के वेतन भूगतान के लिए दो अरब रुपये स्वीकृत किया गया है. इन शिक्षकों के पिछले छह माह के बकाये वेतन का भुगतान होगा. 140 नगर निकायों को विभिन्न मदों में खर्च के लिए 434 करोड़, सामाजिक सहायता कार्यक्रम के लिए सात अरब और मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना मद में चार सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं

Friday, March 11, 2016

रोड चौड़ी करने को लेकर शाहीन बाग़ में धरना, विधायक का विरोध शुरू


आज जामिया नगर कि शाहीन बाग चौकि के नज़दीक ओखला विकास मंच के दुारा शाहीन बाग़ कि रोड चौड़ी को लेकर धरना दिया गया ।
जिसमें सरवर इक़बाल खान , आशु खान, परवेज़ आलम खान, परवेज़ मोहम्मद , अंजारूल हक़, अफज़ाल अंसारी, जावेद इक़बाल खान, तासीर अहमद ने मौजुदा लोगो़ को समबोधित किया ।
सरवर इक़बाल खान ने कहा कि मौजुदा MLA रोड को तंग कर 12 फिट चौड़ा पार्क बना कर ये अवाम को धोका है सरवर इक़बाल ने कहा कि मुझे सड़क भी चौड़ी चाहीए और पार्क भी उनहों ने गुज़ारीश कि के विधायक सड़क से सटी दुसरी ज़मिन में पार्क बनाए ।
समाजीक कार्यकर्ता आशु खान ने कहा कि सरकार रोड तो बना नहीं रही है पर रोड को तंग ज़रूर कर रही है।
आशु ख़ान ने कहा कि अगर रोड को तंग किया गया तो अंदोलन होगा ।
स्वराज संवाद के अफज़ाल अंसारी ने कहा कि विधायक डिकटेटर हो गए है मनमानी कर रहे हैं अवाम से राय ले कर करना चाहिए था ।
खोदाई खिदमतगार के यासिर अली ने कहा कि विधायक जी को मोहल्ला सभा कि मिटीग बुला कर ये फैसला करना चाहिए था कि पार्क बने या नहीं ।जनता के साथ विधायक जी छलवा नहीं करें ।

काँग्रेस नेता परवेज़ आलम खान ने कहा कि केजरीवाल सरकार और उन के विघायक मनमानी कर रहे हैं केजरीवाल ने वादा किया था कि महल्ला के विकास के लिए हर मोहल्ला सभा को चार करोड़ रू देंगे कहाँ गए चार करोड़ ?

समाजीक कार्यकर्ता परवेज़ मोहम्मद ने रोड़ को तंग कर सड़क को तंग करने से किया नुकसान होगा।
मंच का संचालन टी एम ज़िया उल ह़क ने किया ।
धरना समाप्त होने के बाद मार्च शाहिन बाग़ चौकी से शुरू हुआ और कालेंदी कुज़ रोड पर खतम हुआ

Monday, March 7, 2016

JNU का साच : षडय़ंत्र की परतें










राजेंद्र शर्मा

जेएनयू में छात्रों के एक ग्रुप के 9 फरवरी के जिस आयोजन के नाम पर, मोदी सरकार और संघ परिवार ने अपने सभी विरोधियों और सबसे बढ़कर वामपंथ को देशद्रोही दिखाने की जबर्दस्त मुहिम छेड़ी है, उस आयोजन को लेकर रहस्य गहराता जा रहा है। बेशक, इस क्रम में अफजल गुरु की फांसी की सजा के विरोध को जिस तरह देशद्रोह बनाने की कोशिश की गई है, उसे मंजूर नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार, किसी भी प्रकार के नारे लगाने भर को राजद्रोह नहीं माना जा सकता है। वास्तव में इस संबंध में तो देश का सर्वोच्च न्यायालय पहले ही स्पष्टï राय दे चुका है और बाकायदा हिंसा के लिए फौरी उकसावे की शर्त लगा चुका है। फिर भी, उक्त आयोजन को लेकर सरकार समेत संघ परिवार की ''देशद्रोह के नमूनेÓÓ की निर्मिति खुद गंभीर संदेहों के घेरे में है। इन संदेहों के दो-तीन तत्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
पहला, तथ्य जो खासतौर पर दिल्ली सरकार द्वारा कराई गई पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच से सामने आया है, यह है कि उक्त आयोजन के लिए दो टेलीविजन चैनलों के कैमरों को विशेष रूप से और निजी तौर पर बुलाया गया था। इनमें से एक चैनल को तो बाद में उक्त कार्यक्रम की रिकार्डिंग के साथ छेड़छाड़ कर के कन्हैया के मुंह से नारे लगवाने वाला फर्जी वीडियो बनाने के लिए, रंगे हाथों पकड़ा भी गया है। यह दूसरी बात है कि भाजपा सरकार के आशीर्वाद से इसके बावजूद, इस चैनल को कोई नोटिस तक नहीं मिला है, फिर दूसरों को वीडियो के साथ फर्जीवाड़ा न करने का सबक देने वाली कोई सजा दिए जाने का तो सवाल ही कहां उठता है। विश्वविद्यालय सिक्युरिटी के परिसर में प्रवेश के रिकार्ड के अनुसार, इन चैनलों को प्रस्तावित आयोजन से काफी पहले और जेएनयू के एबीवीपी नेताओं द्वारा बुलाया गया था।
इससे कम से कम एक बात तो निर्विवाद रूप से साबित हो ही जाती है। 9 फरवरी को जेएनयू में जो कुछ हुआ, स्वत:स्फूर्त नहीं था। उसके लिए कम से कम उन लोगों की तरफ से पूरी तैयारी थी, जिन्होंने बाद में इसे जेएनयू के खिलाफ हमले का हथियार बनाया। क्या टेलीविजन चैनल इस पूर्व-नियोजित टकराव को, संघ-एबीवीपी के पक्ष से दर्ज करने के लिए ही बुलाए गए थे? आखिरकार, 'देशभक्तों बनाम देशद्रोहियों के युद्घÓ के भोंडे रूपक के प्रचार के जरिए,  इस रिकार्डिंग का जेएनयू के छात्र आंदोलन को बदनाम करने में तो उपयोग किया ही जा सकता था। पहले पुणे फिल्म तथा टेलीविजन इंस्टीट्यूट, फिर मद्रास आईआईटी पेरियार-आंबेडकर स्टडी सर्किल, फिर गैर-नैट छात्रवृत्ति बंद किए जाने के खिलाफ आक्यूपाई यूजीसी और अंतत: रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या, हरेक मामले में मोदी सरकार और उसकी शिक्षा मंत्री के कदमों के खिलाफ संघर्ष के अगले मोर्चे पर रहे जेएनयू के वामपंथी छात्र आंदोलन पर अंकुश लगाना जरूरी था।
लेकिन, लगता है कि खेल शायद इससे भी बड़ा था। एबीवीपी के बुलाए वफादार चैनलों की रिकार्डिंग के माध्यम से सत्तापक्ष तथा उसके द्वारा नियंत्रित शासन-प्रशासन के पास, 9 फरवरी को जो कुछ हुआ था, उसकी साक्ष्यों समेत पूरी जानकारी शुरु से ही थी, जिसमें आपत्तिजनक नारे लगाने वालों से संबंधित जानकारी भी शामिल थी। इसके बावजूद, पहले एबीवीपी व भाजपा सांसद की शिकायत के माध्यम से सिर्फ आपत्तिजनक नारों को उछाला गया और उनके लिए छात्रसंघ के अध्यक्ष व महासचिव समेत, वामपंथी छात्र नेताओं के मुंह में ये नारे रखने की कोशिश की गई। इनका झूठ अब बाकायदा पकड़ा जा चुका है।  लेकिन, कन्हैया की गिरफ्तारी से लेकर अब जमानत पर रिहाई तक, पिछले इतने घटनापूर्ण करीब चार हफ्तों में पुलिस, न सिर्फ उक्त नकाबपोशों को पकड़ नहीं पाई है बल्कि उनकी किसी तरह से पहचान तक नहीं कर पाई है। वास्तव में पुलिस इस सच्चाई को देखकर भी नहीं देखना चाहती है कि कोई बाहरी नकाबपोश थे, जिन्होंने उक्त आपत्तिजनक नारे लगाए थे।
इसका सबसे उदार अर्थ तो यही हो सकता है कि सरकार की और इसलिए उसकी पुलिस की भी दिलचस्पी, वास्तव में न तो उक्त राष्टï्रविरोधी नारों में थी और न उक्त नारे लगाने वालों को देश के कानून के तहत बनने वाली सजा दिलाने में। उनकी दिलचस्पी तो जेएनयू छात्र आंदोलन, जेएनयू और उसके बहाने से विपक्ष तथा विशेष रूप से वामपंथ को देशविरोधी प्रचारित करने में थी और यह उद्देश्य पूरा हो चुका है। लेकिन, इससे एक और गंभीर आशंका भी पैदा होती है। कहीं मौके पर संघ के वफादार टेलीविजन कैमरों की ही तरह, देश तोडऩे के नारे लगाने वाले नकाबपोशों की उपस्थिति भी प्रायोजित और इसलिए एक बड़े षडय़ंत्र का हिस्सा तो नहीं थी? बेशक, नवउदारवाद के इस जमाने में बार-बार कहकर 'षडय़ंत्र सिद्घांतÓ को इतना बदनाम कर दिया गया है कि ऐसे षडय़ंत्र की ओर इशारा करते हुए भी हिचक होती है। लेकिन, सच्चाई यह है कि दुनिया भर में सत्ताधारी ताकतेें, एजेंट प्रोवेकेटियरों का ऐसा उपयोग करती आई हैं और आज भी कर रही हैं।
वास्तव में इसी बीच सामने आई इशरत जहां प्रकरण को नया रंग देने की सारी कोशिशों के बावजूद, पूर्व-गृह सचिव जीके पिल्लै ने चिदंबरम तथा कांग्रेस को मुश्किल में डालने की कोशिश करते हुए भी, इस पूरे प्रकरण के खुफिया ब्यूरो का एक ''कंट्रोल्ड आपरेशनÓÓ होने की बात मानी है। सुरक्षातंत्र की भाषा के जानकारों के अनुसार, इस मामले में कंट्रोल्ड ऑपरेशन का संक्षिप्त अर्थ है—बहकाकर बुलाना और खत्म कर देना! हालांकि यह सोचकर दहशत होती है, फिर भी सच यही है कि जो खुफिया एजेंसियां एक कॉलेज छात्रा समेत चार लोगों को, उनकी पृष्ठïभूमि कुछ भी हो, फंसाकर षडय़ंत्रपूर्वक मौत के घाट उतार सकती हैं और इससे सत्ताधारी नेताओं की हत्या के षडय़ंत्र को विफल करना प्रचारित कर सकती हैं, क्या एक कार्यक्रम में अपने 'मनचाहेÓ नारे लगवाने के लिए तीन नकाबपोश खड़े नहीं कर सकती हैं? क्या पुलिस इसीलिए उन्हें बचा रही है? मुद्दा नारों के देशद्रोहात्मक या राजद्रोहात्मक होने न होने का नहीं है। मुद्दा इस मुद्दे को इतना तूल देने के बावजूद, ये नारे लगाने वालों की सही पहचान करने से शासनतंत्र के कतराने का है। जब तक उक्त नकाबपोशों की पक्की पहचान नहीं की जाती है और इसी के हिस्से के तौर पर छात्रसंघ के पदाधिकारियों समेत वामपंथी छात्र नेताओं को उक्त नारों से अलग नहीं किया जाता है, तब तक यह संदेह बना ही रहेगा और समय गुजरने के साथ और गहरा होता जाएगा कि कहीं यह भी छात्र आंंदोलन तथा आम तौर पर विपक्ष के खिलाफ खुफिया ब्यूरो-संघ परिवार का मिला-जुला ''कंट्रोल्ड ऑपरेशनÓÓ तो नहीं था! यह ऑपरेशन उनके लिए अंतत: फायदे का सौदा होगा या घाटे का, यह एक अलग विषय है

देशबंधु

Saturday, March 5, 2016

कन्हैया तो एक झाँकी है .......




सतीश मिश्रा

कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी ‘अंकुर’। श्याम बेनेगल की इस फिल्म का आखिरी 5 सेकंड का दृश्य ही पूरी फिल्म की जान था। इसमें पूरा गांव जमींदार के दमन और शोषण के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोल पाता, मानों हर जुल्म सहना उनकी नियति बन गई हो लेकिन आखिरी सीन में भुक्तभोगी दंपती (अनंत नाग व शबाना आजमी) का नन्हा सा बेटा संदेश देता है कि भले ही उसके मां-पिता  ने सloबकुछ सह लिया हो लेकिन अब नई पीढ़ी यह बर्दाश्त नहीं करेगी और पहला पत्थर उस जमींदार के अभेद्य दुर्ग पर फेंककर उसकी खिड़की का कांच तोड़ देता है जिसकी ओर देखने की किसी में हिम्मत नहीं थी। इस ऐक्ट में इतना कुछ छिपा था जो शायद वह ढाई घंटे की फिल्म नहीं बोल पाई।
दूसरी आजादी का नारा देनेवाले जयप्रकाश नारायण रहे हों या संपूर्ण क्रांति के पक्षधर राममनोहर लोहिया या फिर सबसे ताजातरीन आंदोलक अन्ना हजारे, हर क्रान्ति का पेट्रोल युवाओं की धमनियों से ही आया है। मेक इन इंडिया के तहत सरकार ने स्टार्ट-अप योजना पेश की थी लेकिन कन्हैया ने तो उसे कुछ अलग ही तरीके से अपनाकर सर जी, का पूरा आइडिया ही खराब कर दिया। एक ही झटके से विडियो-ऑडियो में कट-पेस्ट करनेवालों को पेचिश लग गई। 65% आबादी 35 वर्ष का फॉर्म्युला गिना-गिनाकर सत्ता पाने के बाद क्या उस 35 साल वालों को उसी अनुपात में सत्ता का अधिकार दिया गया? आज जरूरत है कि युवाओं की इस उपस्थिति का एहसास उन्हें फैसला लेने की शक्ति देकर किया जाए।
यह शाश्वत सत्य है कि षड़यंत्रों से युवकों की आवाज कभी दबाई नहीं जा सकती या किसी वर्ग की आवाज दबाकर, उनका माखौल उड़ाकर, तिरस्कार कर और बोलने की आज़ादी की जब कोशिश होगी तब वे उतने ही मुखर बनेंगे। देश इवेंट मैनेजमेंट के सहारे नहीं चलता। वह चलता है भूख, बेकारी, भ्रष्टाचार, समानता और महंगाई को मैनेज करने से। इन मोर्चों पर असफल रहने पर ऐसे ही अरविंदों, राहुलों और कन्हैयों की भरमार होती रहेगी।
कुमार विश्वास की कन्हैया पर बिल्कुल सटीक प्रतिक्रिया थी कि यह छोटा रिचार्ज तो पूरे नेटवर्क को उड़ा देने की क्षमता रखता है। कन्हैया ने सही याद दिलाया कि सीमा पर मारे जानेवाले सैनिक का कभी कोई भाई-भतीजा या रिश्तेदार क्यों राजनीतिज्ञ, मंत्री या बड़े अफसर नहीं निकलता? हर बार उन सैनिकों की शहादत पर उनका ताबूत गांवों-कस्बों में किसान या मध्यवर्ग ही क्यों पहुंचता है? उनकी शहादत पर घड़ियाली आंसू बहानेवाले क्या जाने उस दर्द को?
अभी कुछ महीनों पहले तक तो भक्त यही मान रहे थे कि कांग्रेस की हताशाभरी हार के बाद नेतृत्व पर अगर कोई उंगली उठा सकता है तो वह केवल अरविंद केजरीवाल हैं। लेकिन तब तक शानदार विनिंग कॉम्बिनेशन के साथ नीतीश कुमार आ धमके। अभी यह जोड़ी बनी थी कि राहुल के नए तेवरों ने ध्यान खींचा और तब तक रोहित वेमुला प्रकरण से दुखी पूरे युवा वर्ग से पंगा ले लिया गया कन्हैया को गिरफ्तार करके। यह एक की गिरफ्तारी नहीं थी बल्कि उसी 35 की आयुवाले 65% वर्ग से ले ली गई नाराजगी थी।
तमिलनाडु में लिट्टे से सहानुभूति रखनेवाली जयललिता, पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को पनपने दे रहे अकाली दल, कश्मीर में PDP, असम में बोडोलैंड सहित देश में जितने अलगाववादी संगठन है उन सब से सत्ता की खातिर हाथ मिलाना ही क्या राष्ट्रप्रेम है? हीनभावना किसमें है यह देश को बताने की जरूरत है?
राहुल के नेतृत्व क्षमता पर उठे प्रश्न के बदले वास्तव में तो उनकी दाद तो देनी चाहिए कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए विरोध व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री के अध्यादेश को फाड़ने की हिम्मत की। आज मार्गदर्शक मंडल चिठ्ठी लिखने के अलावा कुछ कर सकता है? कन्हैया की बात में दम है कि लोगों को हीनभावना पर चर्चा महत्वपूर्ण लगती है लेकिन काला धन वापसी, JNU कांड, रोहित वेमुल्ला की आत्महत्या, हरियाणा के हिंसक जाट आंदोलन, पठानकोट हमला, EPF में टैक्स की बात मन में क्यों नहीं आती?
चलते-चलाते
राष्ट्रप्रेमी चिल्लाने से कोई राष्ट्रप्रेमी नहीं हो सकता। कन्हैया में देशद्रोही तलाशनेवालों सचमुच में राष्ट्रविरोधी पौधा देखना है तो कोई कश्मीर जाकर देखे जहां रोज सैकड़ों युवक मिलेंगे जो खुलेआम भारत के टुकड़े करने का आह्वान करते हैं और तिरंगे को रौंदते/जलाते हैं। सबसे बड़ी विडंबना है कि यह सब उसी कश्मीर में हो रहा है जहां बीजेपी की सरकार है


#नवभारत टाइम्स

Friday, March 4, 2016

मनोज कुमार सम्मानित होंगे दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए सरकार द्वारा दिये जाने वाले इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है। मनोज कुमार को 47वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने उनसे फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी। अपने प्रशंसकों को एक से बढ़कर एक फिल्म देने वाले मनोज कुमार ने बतौर अभिनेता और निर्देशक पहले भी कई पुरस्कार जीते हैं। उनकी फिल्में ‘हरियाली और रास्ता’, ‘वह कौन थी’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘दो बदन’, ‘उपकार’, ‘पत्थर के सनम’, ‘नील कमल’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ एवं ‘क्रांति’ ने कामयाबी के तमाम झंडे गाड़े। इन फिल्मों में उन्होंने अविस्मरणीय अभिनय किया है। वह देशभक्ति पर आधारित फिल्मों में अभिनय एवं उनके निर्देशन के लिए जाने जाते हैं।

अविभाजित भारत के एब्बोट्टाबाद में जुलाई 1937 को जन्मे ‘भारत कुमार’ का परिवार 1947 में दिल्ली आ गया था। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से स्नातक करने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखने का फैसला लिया। वर्ष 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले मनोज कुमार 1960 में ‘कांच की गुड़िया’ में प्रमुख भूमिका में नजर आए

नरेंद्र मोदी और को पीछे छोड़ते हुए कन्हैया कुमार का सोशल मीडिया पर वर्ल्डवाइड ट्रेंड कर जाने के कुछ तो मायने हैं.

कन्हैया जेल से जमानत पर रिहा कर दिये गये. उन पर केंद्र सरकार ने देश से बगावत का इल्जाम लगाया था. कन्हैया के तिहाड़ से निकलते ही जहां जेएनयू समेत पूरे देश में  जश्न का माहौल था वहीं गुरूवार रात होते- होते सोशल मीडिया में हैशटैग कन्हैया कुमार वर्ल्डवाइड ट्रेंड करने लगा.
खास बात यह है कि अमेरिका में उभरते हुए नेता डोनाल्ड ट्रम्प तो ट्रेंड में पीछ छूट ही गये, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का संसद में  जोर शोर से दिया गया बजट सत्र का भाषण भी ट्रेंडिंग में पीछे छूट गया.

कन्हैया कुमार की जमानत पर रहिाई की खबर फैलते ही सोशल मीडिया में लाखों लोगो ने अपनी प्रतिक्रिया और कन्हैया के समर्थन में कमेंट करने लगे. भारत का मेनस्ट्रीम मीडिया, सोशल मीडिया के इस रौ को भांपते हुए मजबूर हुआ और तमाम चैनलों ने अपनी टीम जेएनयू भेज दी जहां कन्हैया की रिहाई का जश्न चल रहा था. इस अवसर पर कन्हैया ने एक घंटे की स्पीच दी और फिर वही नारे लगाये जिन नारों को फेरबदल कर टीवी चैनलों ने देश को सुनाया था- संघवाद से आजादी, मनुवाद से आजादी, मोदी राज से … हम ले के रहेंगे आजादी.
इस भाषण के दौरान कन्हैया ने स्पष्ट किया कि देश के संविधान में उनका पूरा भरोसा है. उन्हें भारत से आजादी नहीं, बल्कि भारत में आजादी चाहिए.
कन्हैया का जेएनयू में दिया गया यह भाषण हजारों की संख्या में लोग शेयर कर रहे हैं. सोशल मीडिया में जो प्रतिक्रियायें आ रही हैं उसमें अधिकतर लोगों का मानना है कि  आरएस, संघवाद, साम्प्रदायिकता, कार्पोरेटवाद के विरोध के प्रतीक के रूप में कन्हैया कुमार नामक युवा मिल गया है

Thursday, March 3, 2016

मुझे देश से नहीं देश में आज़ादी चाहीए : कन्हैया कुमार

कन्हैया कुमार JNU मे

कन्हैया के घर जशन में मोहम्मद मुसलिम और अन्य
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार गुरुवार शाम तिहाड़ जेल से रिहा हो गए। उन्हें 20 दिन पहले ‘देशद्रोह’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया को बुधवार के दिन  अदालत ने ज़मानत दी थी। वे जब जेएनयू के परिसर में पहुंचे तो वहां उन्हें छात्रों और शिक्षकों ने उनका ज़ोरदार  स्वागत किया। कन्हैया के स्वागत में बड़ी तादाद में छात्र नारेबाजी कर रहे थे और हाथों में नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे।


कन्हैया ने देर रात कैंपस में भाषण दिया। अपने भाषण में उन्होंने केंद्र सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री पर भी निशाना साधा। कन्हैया ने कहा की सरकार जेएनयू को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा हमें भारत से नहीं भारत में आज़ादी चाहीए

उन्होंने अपने भाषण के दौरान भारतरत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भी याद किया। उन्होंने कहा की उन्हें भारतीय संविधान पर पूरा भरोसा है।  कन्हैया ने अदालत पर भी भरोसा जताया।

आपको बता दें की देशद्रोह के आरोप में 12 फरवरी को कन्हैया की गिरफ्तारी हुई थी। कन्हैया पर आरोप है कि उन्होंने जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाए थे। कन्हैया ने इस आरोप से बार-बार इनकार किया है।

उधर, दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में नौ फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में हुई देश-विरोधी नारेबाजी और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार में कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है।




Tuesday, March 1, 2016

तीखे तेवर साध कर देश को गुमराह कर रहीं हैं ईरानी : लालु यादव

नई दिल्ली. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने रोहित वेमुला आत्महत्या मामले में केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर करारा वार किया है। लोकसभा में मंत्री के तीखे तेवर पर निशाना साधते हुए लालू ने कहा कि असल में ऐसा कर स्मृति अपनी नाकामयाबियों को छुपा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि शैक्षणिक संस्थानों में संघ की विचारधारा थोपने की कोशिश की जा रही है।

लालू यादव ने कहा कि स्मृति ईरानी एचआरडी मंत्री के तौर पर अपनी नाकामयाबी छिपाने की कोशिश कर रही हैं। पूरे देश ने देखा था कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी के बाद डॉक्टर मौके पर मौजूद थे। आपको बता दें कि लोकसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए स्मृति ने कहा था कि रोहित की मौत के बाद डॉक्टरों और पुलिस को भी उसके शव के नजदीक नहीं आने दिया गया था।

लालू यादव ने यहां तक कहा कि स्मृति ईरानी राष्ट्रवाद के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा शैक्षणिक संस्थानों पर थोप रही हैं। लालू यादव ने कहा कि हरियाणा में आरक्षण की मांग पर शुरू हुए जाट आंदोलन के दौरान मुरुथल के पास 10 महिलाओं के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में बीजेपी सरकार कुछ नहीं कर रही है।

जेएनयू मामले की चर्चा करते हुए लालू यादव ने कहा की जेएनयू पर केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है। हाल ही में एक बीजेपी विधायक द्वारा जेएनयू कैंपस में कंडोम पाए जाने की बात कहना चौंकाने वाली है। केंद्र अपने हर मोर्चे पर असफल रही है. स्वच्छ भारत अभियान के दौरान एक महिला मंत्री बहुत उत्साहित थीं, ऐसा लग रहा था, मानो वो सड़कों की गंदगी अपने लंबे बालों से साफ करेंगी।

भाजपा देश में हिन्दू राज्य की विचारधारा थोपने का प्रयास कर रही है-येचुरी



सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह देश में हिन्दू राज्य की अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास कर रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप से बाज आए और छात्रों पर शिकंजा करने से परहेज करे।
दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों की गिरफ्तारी पर पैदा विवाद पर उन्होंने सरकार से मांग की कि वह हाउस समिति संगठित करे ताकि विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में होने वाली हर तरह के बदलाव की समीक्षा की जा सके ।
सीताराम येचुरी ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां एक सक्योलर लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित है लेकिन इसको हिंदू राज्य में बदलने की कोशिश की जा रही है। और इसी उद्देश्य के तहत छात्रों को परेशान किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों में सरकार का हस्तक्षेप बेजा और अवैध है।
उन्होंने राष्ट्रवाद की आड़ में की जाने वाली कार्रवाइयां को गंभीर मामला करार दिया और अपने बयान में सरकार से सख्त सवाल किया कि 'क्या सरकार का विरोध करने वाला विपक्ष को भी देशद्रोही करार दिया जाएगा ?

Friday, February 26, 2016

बिहार सरकार के बजट ने दिखाया देश को आईना

पटना। बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने आज विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए बिहार का बजट पेश किया. यह उनका पहला बजट था। पूरा बजट एक लाख 44 हजार 696 करोड़ का है जिसमें शिक्षा पर सबसे अधिक राशि आवंटित की गयी है, वहीं स्वास्थ्य को दूसरे नंबर पर रखा गया है।

इस बजट में एक और खास बात यह हैं कि सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. एससी-एसटी परिवारों के लिए जमीन का प्रावधान है. बीपीएल परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपए दिया जाएगा।
हर जिले में पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट खोले जाएंगे. वहीं प्रवासी मजदूरों के स्लीपर क्लास का भाड़ा सरकार देगी. राज्य में पांच नए मेडिकल कॉलेज खेला जाएगा. हर घर में साफ पानी पहु्ंचाने पर भी जोर दिया गया है।

बजट की खास बातें –
14 जिलों में 2150 तालाबों का निर्माण होगा
बजट में नीतीश के 7 निश्चय पर जोर दिया गया है
7000 किलोमीटर सड़क निर्माण का लक्ष्य रखा गया है
ग्रामीण सड़कों का निर्माण करीब 970 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा
पुल-पुलियों के निर्माण के लिए 469 करोड़ रुपए आवंटित
नदियों को जोड़ा जाएगा जिससे सूखे से बचा जा सकता है
80 किलोमीटर नए बांध निर्माण का लक्ष्य रखा गया है
स्टार्ट अप के लिए 500 करोड़ रुपए की मदद दी जाएगी
कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा
कृषि विश्‍वविद्यालय की स्थापना किशनगंज में की जाएगी
हर जिले में एएनएम स्कूल खोले जाएंगे

हर मेडिकल कॉलेज में एक नर्सिंग सेंटर होगा
सरकार किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण देगी
शिक्षा विभाग के लिए 21 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि
योजना विभाग के लिए 3500 करोड़ की राशि
एससी एसटी परिवारों को जमीन का प्रावधान
शहरों के नगर निगमों के बजट को बढाया जाएगा
ग्रामीण स्ट्रीट लाइट योजना पर भी विशेष जोर ​दिया जाएगा
पंचायतों में मनरेगा के जरिए भवनों के निर्माण को मंजूरी
ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने पर सरकार का जोर होगा
शौचालय निर्माण के लिए बीपीएल परिवारों को 12 हजार रुपए की मदद मिलेगी
उच्च शिक्षा के लिए सरकारी सहायता में इजाफा किया जाएगा
मुख्यमंत्री बालक और बालिका साइकिल योजना पर जोर दिया जाएगा
पांच प्राइवेट यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी
पर्यावरण और वन विभाग के लिए 242.27 करोड़ रुपए दिए जाएं

मायावती ने कहा कि अब स्मृति ईरानी अपना सिर काटकर चढ़ाने का वादा पूरा करें।

नई दिल्ली । रोहित वेमुला के मुद्दे पर संसद में चल रही बहस के दूसरे दिन शुक्रवार को भी बीएसपी सुप्रीम मायावती और मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी आमने सामने आ गईं। रोहित की आत्महत्या की जांच करने वाले पैनल में दलित सदस्य के न होने का मामला उठाते हुए मायावती ने कहा कि वे मंत्री के इस मामले में दिए गए जवाब से संतुष्ट नहीं हैं।

मायावती ने यह भी कहा कि अब स्मृति ईरानी अपना सिर काटकर चढ़ाने का वादा पूरा करें। बता दें कि संसद में गुरुवार को इस मामले पर डिबेट के दौरान स्मृति ईरानी ने कहा था कि अगर मायावती उनके बयान से संतुष्ट नहीं हुईं तो वे अपना सिर काटकर उनके चरणों में रख देंगी।

मायावती ने कहा कि स्मृति ईरानी ने उनसे अलग से माफी मांगी थी। मायावती ने कहा कि बड़े होने के नाते उन्‍होंने कल माफ कर दिया था, लेकिन अब वे ऐसा नहीं करेंगी

Thursday, February 25, 2016

हिलेरी क्लिंटन हुई अमेरिकी राष्ट्रपति , जिता चुनाव


हिलेरी क्लिंटन
हिलेरी क्लिंटन ने अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. उन्होंने यह चुनाव अपनी  प्रतिद्वंदी बनी सैडर्स से काफी करीबी अंतर से जीता है .जहां हिलेरी को 52.5 और सैंडर्स को 47.5 फीसदी लोगों ने पसंद किया। इस जीत के बाद उन्होंने सबका धन्यवाद किया 

जाट आंदोलन के दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप की ख़बरों से मचा हड़कंप

जाट आंदोलन के दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप की खबरों से हड़कंप मच गया है। मीडिया में सामने आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार, बीते हफ्ते से हरियाणा में चल रहे जाट आंदोलन के दौरान मुरथल हाईवे पर कथित रूप से 10 महिलाओं के साथ गैंगरेप की एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है।

इन रिपोर्टों में एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि सोनीपत जिले में नेशनल हाईवे-1 पर बीते सोमवार की सुबह कुछ वाहनों को रोककर (जिनमें बसें भी थी) उनमें सवाहै
महिलाओं के साथ खेतों में ले जाकर सामूहिक बलात्कार किया गया। गैंगरेप के बाद पीडि़त महिलाओं को निर्वस्‍त्र करके वहीं खेतों में छोड़ दिया।

इन रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि 17 फरवरी की सुबह चार बजे के करीब 30 उपद्रवियों ने मुरथल के पास एनएच-1 पर एनसीआर जाने वाले वाहन रोके और कुछ को आग लगा दी, जिसमें बस भी शामिल थे। कई लोग भाग गए पर कुछ महिलाएं रह गईं। उपद्रवियों ने इनके कपड़े फाड़ दिए। इसके बाद कुल 10 महिलाओं से गैंगरेप किया गया। रिपोर्टों के अनुसार, चश्मदीदों के मुताबिक, रेप के बाद महिलाओं को खेतों में ही छोड़ दिया। निकटवर्ती गांव के लोग कपड़े और कंबल लाए और जिसके बाद पीडि़ताओं ने खुद को ढका। हालांकि घटना की सूचना पर अधिकारी भी मौके पर पहुंचे लेकिन आरोप है कि पीडि़तों को मेडिकल मदद और जांच के बजाय परिजनों पर महिलाओं को घर ले जाने का दबाव बनाया गया। पीडि़तों को रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने के लिए कहा। निकटवर्ती ढाबा संचालकों ने चुप्पी साध ली है।

दूसरी ओर, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होगी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिनमें जाम के दौरान गाडिय़ों से 10 महिलाओं को खींचकर गैंगरेप किया गया। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। न्यायाधीश ने मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लेते बुधवार को कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक घटना है।

एक अन्‍य रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के डीजीपी यशपाल सिंघल ने गैंगरेप की खबर को अफवाह बताया है। हरियाणा पुलिस ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसे अफवाह करार दिया है। पुलिस का कहना है कि ऐसी कोई भी घटना घटित नहीं हुई है लेकिन मौके पर मौजूद चश्मदीदों के मुताबिक तकरीबन 10 महिलाएं इस घटना का शिकार हुईं। उक्‍त रिपोर्ट के अनुसार यहां पुलिस पीड़ितों और उनके परिवारों को ‘अपने सम्मान की खातिर’ रिपोर्ट दर्ज न कराने क दबाव डाल रही है



The Tolerant Indian

रोहिथ वेमुला की ख़ुदकुशी पे पकड़ा गया स्मृति इरानी का झूठ,

संसद में रोहित वेमूला सहित जेएनयू मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों का बहुत तीखे अंदाज में जवाब देने वाली केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के भाषण को काफी सराहा जा रहा है।

जिस आक्रामक लहजे और तल्‍ख जबान के साथ उन्होंने रोहित और जेएनयू मुद्दे पर विपक्ष के सभी प्रहारों को भोथरा किया उससे प्रधानमंत्री मोदी भी संतुष्ट नजर आए। उन्होंने स्मृति की तारीफ करते हुए ट्वीटर पर उनका पूरा भाषण शेयर भी किया।

लेकिन लोकसभा में स्मृति ईरानी जिन दावों के आधार पर विपक्ष पर भारी पड़ती नजर आई थी अब उन दावों पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है। सवाल खड़ा करने वाले हैं रोहित के दोस्त जो उसकी मौत के बाद मौके पर ही मौजूद थे।

नए दावों के बाद स्मृति के साथ साथ तेलंगाना पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है, क्या उसने हाइकोर्ट को गलत जानकारी दी। क्योंकि उसी जानकारी के आधार पर ही स्मृति ने रोहित की मौत को लेकर संसद में नए खुलासे किए थे।

लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते समय बुधवार को स्मृति ईरानी ने कुछ नए तथ्यों का खुलासा किया था। स्मृति ने तेलंगाना पुलिस की हाइकोर्ट में दी गई रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि पुलिस को उसकी मौत की जानकारी 17 जनवरी की शाम 7.20 पर मिल गई थी।

जिसके बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची तो देखा की उसका कमरा खुला हुआ था। रोहित का शव भी फंदे से उतारकर नीचे मेज पर रखा हुआ था। स्मृति ने पुलिस के दस्तावेजों के आधार पर दावा किया कि आक्रोशित छात्रों ने पुलिस को उसके शव के नजदीक ही नहीं जाने दिया।

दावा ये भी था कि सुबह 6.30 तक पुलिस और डॉक्टर रोहित के शव की जांच नहीं कर सके। नए दावे के साथ स्मृति ने सवाल खड़ा किया था कि उस भीड़ में ऐसा कौन था जिसने बिना किसी चिकित्सकीय परीक्षण के रोहित को मृत घोषित कर दिया।

स्मृति ने कहा जानबूझकर राजनीति करने के लिए एक छात्र को मौत के मुंह में धकेल दिया गया। राजनीतिक दलों ने उसके शव को भी पॉलीटिकल टूल की तरह इस्तेमाल किया।
स्मृति ने अपने दावों के साथ बेशक विपक्ष पर बढ़त बनाने का प्रयास किया हो लेकिन रोहित के साथियों ने इस पर सवाल खड़ा कर दिया है। रोहित के साथी रहे एक छात्र जिकुरल्लाह निशा ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट लिखते हुए स्मृति इरानी को झूठा कहा है।

निशा ने कहा कि “रोहित के फांसी खाने के तुरंत बाद उसने खुद हेल्‍थ सेंटर को फोन किया था। पांच मिनट के अंदर ही हेल्‍थ सेंटर के सीएमओ डा. राजश्री पी मौके पर पहुंचे और रोहित के शव की जांच कर उसे मृत घोषित किया।

उन्होंने दावा किया कि उस समय तेलंगाना पुलिस भी मौके पर मौजूद थी। आज केन्द्रीय मंत्री ने पूरे देश के सामने झूठ बोला कि सुबह 6.30 बजे तक न पुलिस और न डॉक्टरों को रोहित के शव का निरीक्षण करने दिया गया।” निशा की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है।

वहीं एक अंग्रेजी वेबसाइट द न्यूज मिनट ने रोहित के शव का चिकित्सकीय परीक्षण करने वाले डॉक्टर विजयश्री पी के हवाले से बताया कि किया कि उसकी मौत के तुरंत बाद वह के पर पहुंच गए थे।

वेबसाइट के अनुसार रोहित ने 17 जनवरी की शाम 6.30 बजे से 7 बजे के बीच न्यू रिसर्च स्कॉलर हॉस्टल के कमरा नंबर 207 में फांसी खाई थी। इसकी सूचना सबसे पहले सिक्योरिटी ऑफिसर को मिली, जिन्होंने तुरंत हैदराबाद यूनिवर्सिटी के मेडिकल ऑफिसर विजयश्री पी को सूचना दी।
डॉक्टर ने बताया कि मुझे 7.20 पर इसकी सूचना मिली और दस मिनट के अंदर मैं वहां पहुंच गया। तब तक उसके शव को पंखे से उतारकर नीचे रख दिया गया था।� दस मिनट तक जांच करने के बाद हमने उसे मृत घोषित कर दिया। हमनें इस संबंध में तत्काल वीसी को भी सूचित किया।

उन्होंने हमसे पूछा कि क्या उसके जिंदा होने की कोई गुंजाइश है। डॉक्टर के अनुसार सुबह 3 बजे तक वह वहां रहे। डा. विजयश्री ने यूनिवर्सिटी की हेल्‍थ बुक में भी इसका जिक्र किया है। इसमें बताया गया है कि उन्होंने इस संबंध में तुरंत कुलपति, कुलसचिव और डीएसडब्लू को भी इस संबंध में सूचित किया।

वेबसाइट के अनुसार डा. विजयश्री ने बताया कि जिस समय वह मौके पर पहुंचे पुलिस वहां मौजूद थी। वेबसाइट ने एक अन्य सीएमओ रवीन्द्र कुमार के हवाले से बताया कि, मेरे ड्यूटी डॉक्टर विजयश्री सूचना मिलने के तुरंत बाद मौके पर पहुंच गए थे।

जब उनकी मौत की सूचना पुख्ता हो गई तो मैंने वीसी को फोन किया, लेकिन उन्होंने मेरे फोन का जवाब नहीं दिया।� वहीं रोहित के साथ ही सस्पेंड होने वाले चार छात्रों में से एक दोंथा प्रशांत ने बताया कि हम सभी उस समय मौके पर मौजूद थे जब रोहित का शव फांसी पर लटका पाया गया। ड्यूटी डॉक्टर विजयश्री तुरंत मौके पर पहुंचे और उसकी जांच की।

(साभार:headline24.in

हिंदी अख़बार, जागरण का एडिटर रेप की चाह रखे तो आप किया कहेंगे ।




क्या आप यक़ीन करेंगे कि खुद को देश के सबसे बड़े हिंदी अख़बार, जागरण का एक डिप्टी एडिटर बताने वाला पत्रकार, ‘देशद्रोहियों’ का कैदियो से बलात्कार कराना चाहता है। उसकी भुजाएँ फड़क रही हैं और वह अपने फेसबुक पर जैसी उलटी कर रहा है, वह बताता है कि भारत कैसे ‘देशभक्तों’ के चंगुल में फँस गया है।

वैसे तो किसी पत्रकार से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जाती। संपादकों का काम ही कि ऐसे किसी विचलन से अख़बार को बचाना। लेकिन खुद को एक बड़े अखबार का  ‘संपादक’ बताने वाला डा.अनिल दीक्षित (सोचिये, डाक्टर भी हैं, यानी किसी विषय में पीएच.डी की होगी) उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य के साथ ऐसा ही कराना चाहता है।

इस दिमाग़ी मरीज़ ‘डॉक्टर’ को यह भी पता नहीं है कि अगर कहीं जुर्म हुआ है तो उसे सज़ा देने का काम अदालतों का है । और भारतीय अदालतें तालिबानी या खाप पंचायतें नहीं है। हिंदी का दुर्भाग्य ही है कि ऐसे अख़बार और पत्रकार शिखर पर हैं। आप ख़ुद पढ़कर अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसके दिमाग़ में कैसा ज़हर भरा है। दंगाई पत्रकारों की दिमाग़ी हालत का एक्स-रे है यह पोस्ट।

रेल बजट : सरकार ने सराहा, विपक्ष ने बताया निराशाजनक




नई दिल्ली । रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2016-17 का रेल बजट पेश किया। इस बार उन्होंने न केवल रेल किराया बढ़ाया है और न मालभाड़े में कोई इजाफा किया है। इसको लेकर विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना शुरू कर दी है। कांग्रेस के मुताबिक यह फेल बजट है और इसमें कुछ नया नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल बजट की जमकर तारीफ की है । उन्होंने कहा कि साफ़ सफाई , यात्री सुविधा, और तकनीकी विकास पिछले दो रेल बजट का मूल मन्त्र रहा है ।

We have been fairly successful over the past year, this #RailBudget2016 will improve it further-PM Modi pic.twitter.com/loCymUtuhM

— ANI (@ANI_news) February 25, 2016

Saaf safayi, yatri suvidha, technological upgradation pichle do rail budgets ka mool mantra raha hai-PM Modi

— ANI (@ANI_news) February 25, 2016

लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेल बजट को हल्का बताया। उन्होंने कहा कि रेलवे के पास पैसा नहीं है। नई रेल लाइन व ट्रेनों के लिए पैसा नहीं है। इसके साथ ही नई घोषणाओं में नहीं बताया गया है कि वे ये कहां लगा रहे हैं।

नई ट्रेनों की बाबत उन्होंने कहा कि पहले के ट्रेनों का नाम बदल दिया गया है। पार्टी के पुराने मुखिया का नाम लेकर इसे बदला गया है। नया निवेश नहीं है। पारदर्शिता नहीं रखी गई है ताकि बाद में गड़बड़ किया जा सके।

पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल ने कहा कि बायो वैक्यूम टॉयलेट के इस्तेमाल के अलावा इस रेल बजट में कुछ भी नया नहीं है। बंसल ने कहा कि लोकोमोटिव कारखानों का ऐलान उन्होंने तभी कर दिया था जब वो रेलवे मंत्री थे।

पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी रेल बजट पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि ये बहुत ही हल्का रेल बजट है जिसमें कुछ भी नया नहीं है। लालू यादव ने ये भी कहा कि रेलवे ही भारत की लाइफलाइन है और भाजपा के आने के बाद ये पटरी से उतर गई है। पूर्व रेल मंत्री ने ये भी कहा कि देश को बुलेट ट्रेन नहीं चाहिए और इसपर विदेशियों की निगाह है।

पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने भी रेल बजट की आलोचना करते हुए कहा कि बजट कहां आया? उन्होंने कहा कि बजट में आने वाले लक्ष्य की घोषणा होती है। लेकिन इस रेल बजट में भ्रम का ऐलान है

Wednesday, February 24, 2016

दिल्ली में जंगल राज और देश मे फासिवाद : नितीश कुमार

"मुख्यमंत्री ने बिहार चुनाव के दौरान आरएसएस प्रमुख पर दिए गये बयानों को फिर से दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मानसिकता आरक्षण विरोधी है।"
हालिया दिनों में घटी घटनाओं पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को एक बार आड़े हाथों लिया है। नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्र में जंगलराज है तो देश में फासीवाद चल रहा है। मौजूदा वक्त में देश की हालत अराजक हो गई है। बीजेपी जबरन देश के ऊपर अपने विचारों को थोप रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अपनी कैबिनेट के साथ बैठक के बाद बाहर आए मुख्यमंत्री ने बिहार चुनाव के दौरान आरएसएस प्रमुख पर दिए गये बयानों को फिर से दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मानसिकता आरक्षण विरोधी है।
नीतीश ने कहा कि कहा कि बीजेपी के विचारों से जो सहमत नहीं, वे उनकी नजर में देशद्रोही हैं। उन्होंने एक बार फिर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार बताए कि कन्हैया ने देश के खिलाफ कौन-सा नारा लगाया था। इसका वे सबूत दें।
रेल बजट को लेकर नीतीश ने निराशा जाहिर की और कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बजट से मुझे कोई उम्मीद नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा बहुत सारे प्रोजेक्ट अब तक पेंडिंग पड़े हुए हैं, लेकिन उस पर रेल मंत्री की ओर से कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है। कुछ प्रोजेक्ट तो ऐसे हैं, जो मेरे कार्यकाल के दौरान से ही लटके पड़े हैं लिहाजा मुझे कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आती

गया : दर्जी का बेटा यूपीएससी की परीक्षा में हुआ सफल



गया। टिकारी के पंचानपुर में दर्जी का काम करने वाले मो.मुख्तार का 25 वर्षीय बेटा जमील अख्तर ने यूपीएससी-15 की जारी लिखित परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उसे साक्षात्कार के लिए काल किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर मुख्तार ने बच्चों को बेहतर तालिम दी है। सफलता पर जमील ने रविवार को बताया कि आईएएस की तैयारी ज्ञान आईएएस कोचिंग के मार्गदर्शन में किए थे। इसी कोचिंग में काउंसलर का काम करते हुए अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए थे। कोचिंग के संचालक ज्ञान प्रकाश के मार्गदर्शन और मुफ्त में यूपीएसपी की सारी सामाग्री मिली थी। दूसरी प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में पहले पीटी और अब लिखित परीक्षा को निकाल पाए हैं। जमील की मां राबिया खातुन जो स्वयं निरक्षर है। मां और पिता को जमील जैसे होनहार पुत्र पर गर्व है। बेटे की मेहनत, परिश्रम, लग्न, माता-पिता और गुरू के आशीर्वाद से इस परीक्षा में सफलता मिली हैं। जमील ने माध्यमिक शिक्षा ठाकुर मुनेश्वर नाथ सिंह हाई स्कूल टिकारी, आईएससी की पढ़ाई सत्येंद्र नारायण सिन्हा कालेज टिकारी एवं बीएससी की पढ़ाई मिर्जा गालिब कालेज से किए थे। उसका सपना था कि प्रशासनिक क्षेत्र में अपने क‌र्त्तव्य को निभाए। सफल विद्यार्थी टिकारी के विशुनगंज सहवाजपुर टिकारी का रहने वाला है

Tuesday, February 23, 2016

Beef Ban: :ग़लत निकले AMU में गोमांस परोसने के आरोप

अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज की कैंटीन में गोमांस परोसे जाने के आरोप प्राथमिक जांच में गलत पाए गए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जे रविंद्र गौड़ ने रविवार को यहां बताया कि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा शिकायत किए जाने पर पुलिस की एक टीम ने फौरन मेडिकल कालेज कैंटीन जाकर तलाशी ली लेकिन वहां कोई भी आपत्तिजनक या प्रतिबंधित सामग्री नहीं मिली।

मालूम हो कि महापौर शकुंतला भारती की अगुवाई में भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन कर पुलिस से मांग की थी कि वह जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में स्थित कैंटीन में गोमांस परोस रहे ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगा।
सोशल मीडिया में मेडिकल कालेज कैंटीन के बताए जा रहे एक मेन्यू बोर्ड की फोटो वायरल होने के बाद यह विवाद पैदा हुआ था। उस मेन्यू में ‘बीफ बिरयानी’ नाम से एक व्यंजन का नाम लिखा था।
यह खबर फैलने पर एएमयू के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने कैंटीन का मुआयना किया और कहा कि जो बिरयानी गाय के मांस वाली बताई जा रही है, वह दरअसल भैंस के गोश्त से बनाई गई है।
एएमयू के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट किया था कि विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने करीब एक सदी पहले ही यूनीवर्सिटी की कैंटीन में गोमांस का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगायी थी, ताकि हिंदू भाइयों की आस्था को ठेस ना पहुंचे

JNU विवाद पर नया खुलासा, नहीं लगे 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे


नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नारेबाजी के मामले में दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में नया खुलासा हुआ हैै। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएनयू र्यक्रम के दौरान कुल 29 नारे लगाए गए, लेकिन 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा नहीं लगा था।
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने जेएनयू में हुए मामले में कुल 12 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में 29 नारों का चर्चा है, लेकिन ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे का जिक्र नहीं है।
वहीं, देशद्रोह के आरोपी उमर खालिद और उसके चार साथियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी दी है। बताया जा रहा है कि वे प्रोटेक्शन में सरेंडर की रिक्वेस्ट करेंगे।
यहां पर याद दिला दें कि जेएनयू कैंपस में 9 फरवरी की रात को संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाई और इस मौके पर देश विरोधी नारे भी लगाए गए। आरोप है कि यहां पर कुछ छात्रों ने पाकिस्तान जिंदाबाद जैसे देशद्रोही नारे लगाए थे।
अब इस मामले में डिप्टी कमिशनर ऑफ पुलिस (साउथ) प्रेमनाथ ने अपनी जांच रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि अफजल की बरसी के दौरान कार्यक्रम में कई तरह के नारे गूंजे थे, लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा नहीं गूजा था।
जांच रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल हैं, जिनमें विश्वविद्यालय के छात्र और स्टाफ शामिल हैं। गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को एक निजी टेलीविजन चैनल की फुटेज के आधार पर एक मामला दर्ज किया था। हैरानी की बात यह है कि इस वीडियो में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी थे

दैनिक जागरण

Monday, February 22, 2016

'जेएनयू की जिस छात्रा की पुलिस को तलाश, वह है बिहार के भोजपुर की शान

चिंटू कुमारी 

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देश विरोधी नारे लगने की घटना के बाद दिल्ली पुलिस पूछताछ के लिए छात्रसंघ की जिस पूर्व जनरल सेक्रटरी चिंटू कुमारी की तलाश कर रही है, वह भोजपुर जिले स्थित कोलोडिहरी गांव के हरिजन टोला की शान हैं।

चिंटू जब पढ़ाई के लिए दिल्ली आई थीं तब इसमें सीपीआई(एम-एल) ने काफी मदद की थी। बाद में उनका दाखिला जेएनयू में हुआ जहां वह एमफिल कर रही हैं। 20 साल की चिंटू 2014 में ऑल इंडिया स्‍टूडेंट्स असोसिएशन (आईसा) के टिकट पर छात्रसंघ का चुनाव लड़कर जनरल सेक्रटरी बनी थीं।

चिंटू के पैरंट्स आईसा के पैरंट ऑर्गनाइजेशन सीपीआई (एम-एल) के सदस्‍य हैं। बिहार में जब जातिवाती हिंसा का खूनी दौर चल रहा था और रणवीर सेना ने 1996 में जब बथानी टोला नरसंहार को अंजाम दिया था तब उनके पिता रामलखन ने छिपकर अपनी जान बचाई थी। मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर वह खेतिहर मजदूरों के आंदोलन का नेतृत्‍व कर चुके हैं जिसकी वजह से ऊपरी तबके के लोगों में उनके खिलाफ गुस्‍सा था।


चिंटू की मां सरोजिनी रोजी-रोटी के लिए चूड़‍ियां बेचने का काम करती हैं। वहीं उनसे छोटी दो बहनें सीपीआई (एम-एल) की मदद से ही दिल्‍ली में पढ़ाई कर रही हैं। उनके भाई संदीप आरा के सीपीआई(एम-एल) दफ्तर में ही रहते हैं और कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं।

जब सरोजिनी को जेएनयू की घटना के बारे में पता चला तो वह काफी परेशान हो गईं। अपनी बेटी को देशद्रोही करार दिए जाने से वह काफी दुखी हैं। उन्‍होंने कहा, 'हमने सिर्फ यही चाहा कि हमारे बच्‍चे पढ़-लिख जाएं ताकि वे देश की सेवा कर सकें। हमने यह कभी नहीं चाहा कि वे कमाकर हमें खिलाएं या फिर हमारे लिए घर बनवाएं।' सरोजिनी ने कहा कि उनका परिवार तहेदिल से लेफ्ट विचारधारा को मानता है, लेकिन वे देशद्रोही नहीं हैं।

सरोजिनी ने अपनी बेटी को देशद्रोही करार दिए जाने के लिए केंद्र सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया। जब चिंटू के सरेंडर करने की बात पूछी गई तो उन्‍होंने सवाल खड़े किए और पूछा कि उसे सरेंडर क्‍यों करना चाहिए। उन्‍होंने कहा, 'वह इसलिए सरेंडर करे ताकि भगवा ब्रिगेड से जुड़े काले कोट वाले लोग पुलिस के सामने उसकी पिटाई करें जैसा कि उसके दोस्‍त कन्‍हैया कुमार की हुई।' एनबीटी

अगर देश भक्त है तो RSS अपने मुख्यालय से भगवा झंडा उतार कर तिरंगा फहराए : सरवर

सरवर इक़बाल खान
केंखानद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनिवार्यता पर मशहूर समाजिक कार्यकर्ता सरवर इक़बाल खान.   ने RSS को निशाना बनाया। सरवर इक़बाल खान ने ये बात आज पुर्वाचँल पोस्ट से एक विशेष बात चित में कही  सरवर ने कहा कि RSS से जुड़े लोग खुद को देशभक्त मानते हैं। अगर ऐसा है तो वे आरएसएस मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज क्यों नहीं फहराते।
सरवर इक़बल ने कहा कि 27 सितंबर 1948 को देश की पहली सरकार आरएसएस को राष्ट्रविरोधी घोषित कर चुकी है। उस वक्त पीएम कार्यालय से जारी बयान में कहा गया था कि इनके खिलाफ बंटवारे के वक्त राष्ट्रविरोध गतिविधियों के साक्ष्य सरकार के पास हैं। 
यही नहीं सरवर  कहते हैं कि जिस सरदार पटेल की ये बड़ी मूर्तियां लगा रहे हैं, 1948 में ही उन्होंने पंडित नेहरू को लिखे पत्र में इन्हें एक विशेष समुदाय के लोगों के कत्ल दोषी करार दिया था। 1948 में सरदार पटेल ने इन्हें नेशनल फ्लैग मानने को कहा था, जिसे इन्होंने नहीं माना।
आरएसएस मुख्यालय पर अब भी भगवा झंडा फहरता है। देश का तिरंगा नहीं। ये संगठन महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता भी नहीं मानता। यहां उन्होंने सवाल खड़ा किया कि राष्ट्र विरोधी कौन। सरवर ख़ान ने कहा कि जर्मनी में जैसा नाजियों ने किया। वही साजिश यहां की जा रही है।
पहले हैदराबाद और अब जेएनयू में सिविल लिबर्टीज को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है
 यूनिवर्सिटी में मुद्दों पर
बहस बंद करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए एबीवीपी का इस्तेमाल किया जा रहा

Saturday, February 20, 2016

प्रधानमंत्री को अब देश की जनता को बताना चाहिए कि उनकी नजर में देशद्रोह की परिभाषा क्या है ? :नितीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) मामले में केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के इतने दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस उसके खिलाफ देशद्रोह का सबूत नहीं जुटा सकी, तो देशद्रेाह का आरोप कैसा? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अब देश की जनता को बताना चाहिए कि उनकी नजर में देशद्रोह की परिभाषा क्या है?

नीतीश ने कन्हैया कुमार के खिलाफ सबूत की मांग करते हुए कहा कि भाजपा खुद इस भावनात्मक मुद्दे को उठाकर अन्य मुद्दे को खत्म करना चाहती है। पटना में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया की गिरफ्तारी के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न पर उन्होंने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, भाजपा ने जबरन इस मुद्दे को उछाला है, ताकि लोगों का ध्यान दूसरी ओर ले जाया जा सके। भाजपा विकास के सभी मोर्चे पर विफल साबित हो गई है। अब उसने भावनात्मक मुद्दे को उठाया है जिससे अन्य मुद्दों से लोगों का ध्यान हट जाए।
उन्होंने कहा कि इतने दिन गुजर जाने के बाद भी कन्हैया के खिलाफ न गृह मंत्रालय और न ही दिल्ली पुलिस सबूत जुटा सकी है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर कोई सबूत तो लाएंगे न? मुख्यमंत्री ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार जेएनयू जैसे शिक्षण संस्थानों को ध्वस्त करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जेएनयू में उनकी विचारधाराओं को नहीं मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, इसलिए अपने विचारों को थोपने के लिए ये सब किया जा रहा है।
भाजपा द्वारा बिहार में "जंगलराज" कहे जाने पर भी नीतीश ने हमला बोलते हुए कहा, लोग बिहार में जंगलराज होने का आरोप लगाते हैं, ऐसे लोगों को अब बताना चाहिए कि दिल्ली में पटियाला हाउस अदालत परिसर में पुलिस की मौजूदगी में जो हमले हुए, तो जंगलराज कहां है

झूठ और पाप से सनी है मोदी सरकार: शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द

लखनऊ। पुरी के पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द ने केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। भाजपा और केन्द्र सरकार के रवैये को 'चोर की दाढ़ी में तिनका' सरीखा करार दिया है। जेएनयू के ताजा विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि अलगाववादियों से बातचीत करना सरकार का काम है, जैसा कि वह नगालैंड में कर रही है। पाकिस्तान सरकार से बातचीत कर रही है।
लेकिन, सरकार को कश्मीरियों से बातचीत करने में क्या हर्ज है। लेकिन कश्मीर में तो अब तक वार्ताकार ही तय नहीं हुआ है। उन असंतुष्टों की बात अगर सही मंच से नहीं सुनी जाएगी तो वे विश्वविद्यालयों तथा अन्य मंचों से अपनी बात उठाएंगे।
शंकराचार्य ने केन्द्र की मोदी सरकार को 'झूठ और पाप से सनी' करार देते हुए कहा कि हेडली ने गुजरात पुलिस द्वारा कथित मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां को आतंकवादी बता दिया तो सारे तथ्य और सारी बातें एक तरफ हो गईं और मुम्बई हमलों के आरोपी की बात को सही मान लिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार का रवैया 'चोर की दाढ़ी में तिनका' जैसा रहा

व्हीलचेअर पर आया था दूल्हा, MBA दुल्हन ने डाली वरमाला


गौरव और सविता

इंदौर. सजा हुआ मंच, सुंदर-सी दुल्हन... सब खुश। पर यह क्या? हैंडसम सा दूल्हा घोड़ी पर नहीं व्हीलचेयर पर आया। गर्दन के नीचे शरीर का हिलना-डुलना भी मुश्किल, मगर इससे दुल्हन के चेहरे की खुशी कम नहीं हुई। 16 साल से वह उससे प्यार जो करती है। दुर्घटना में, प्रेमी लकवाग्रस्त हो भी गया तो क्या फर्क पड़ता है।
गौरव कहते हैं, 1998 में सविता से साकेत नगर में एक दोस्त के घर के नीचे दोनों मिले। मिलने का सिलसिला बढ़ा। करीब सात साल तक ऐसे ही चलता रहा।
मैं कंस्ट्रक्शन का बिजनेस करने लगा। दोनों ने शादी के बारे में सोचा और 2005 में घरवालों को बता दिया। अलग-अलग समाज के होने के कारण दोनों के घरवालों ने इनकार कर दिया। मगर हम दोनों कहां मानने वाले थे। एक-दो साल बाद जब दोनों परिवारों को लगा कि ये नहीं मानेंगे तो वो थोड़ा तैयार हुए। जन्म कुंडलियां मिलाई तो सविता मंगली निकली। इस पर जो बात बनी थी वो भी बिगड़ गई। दोनों परिवारों ने साफ इनकार कर दिया। दोनों परिजनों को मनाने में लगे रहे।
सविता कहती हैं, इसी बीच 17 अगस्त 2008 को गौरव अपने तीन दोस्तों के साथ महू के पास वांचू पाइंट गए थे। उनकी कार खाई में गिर गई। जब गौरव को दोस्तों ने बाहर निकाला तो उनका शरीर काम नहीं कर पा रहा था। अस्पताल गए तो डॉक्टरों ने बताया कि स्पाइनल इंज्युरी होने के कारण शरीर को लकवा हो गया है। सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई, लेकिन तब भी प्यार कम नहीं हुआ।
परिवारवालों ने इस दुर्घटना के पीछे मेरे मंगली होने को जिम्मेदार ठहराया। गौरव से मिलने घर जाती तो घरवाले मिलने नहीं देते। घंटों घर के बाहर ही बैठी रहती। कुछ समय बाद, आखिर हमारे प्रेम और समर्पण को गौरव के परिवार ने भी समझा और मुझ पर लगाई रोक हटा दी। गौरव ने मुझसे कहीं और शादी करने के लिए कहा। मेरे परिवार ने लड़का भी देख लिया, लेकिन जल्दी ही हमारी समझ में आ गया कि एक-दूसरे के बिना नहीं जी सकते। तय हो गया कि कुछ भी हो, शादी करेंगे।

सविता जैसा समर्पण कोई नहीं कर सकता। सविता का प्यार मुझे जल्द ठीक होने के लिए प्रेरित करता है। डॉक्टर कहते हैं, दो-तीन साल में मैं ठीक हो जाऊंगा।
सविता के लिए हेट्स-ऑफ। -गौरव

सविता की तारीफ में हमारे पास शब्द नहीं है। उसने वो किया है, जो दुनिया में कोई नहीं कर सकता।
- सतीश और सुषमा (गौरव के माता-पिता)

Friday, February 19, 2016

JNU विवाद:पूरे बिहार के छात्र एवं युवा कन्हैया के साथ खड़े है-तेजस्वी

पटना। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जेेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष पर देशद्रोह के आरोप लगाने के मामले पर बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि देशभक्ति की ठेकेदारी तो केवल केंद्र में बैठे लोगों के पास है, दूसरी पार्टी के लोग तो देशद्रोही हैं। तेजस्वी ने कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है। इसमें किसी पर हमला और न्याय की बात कहां से आ गई? इस बारे में हमें प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है।
इससे पहले तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर अपने 'दिल की बात' सीरीज में भाजपा पर जमकर हमला किया। तेजस्वी ने ट्वीट किया, "भाजपाई छद्म राष्ट्रवाद की विफलता को उजागर करने के लिए मै दिल की बात के साथ हाजिर हूं। इसके तहत लेखों को पढकर आप इस बारे में अपनी प्रतिक्रियो दे सकते हैं।"
  "बिहार के कन्हैया कुमार का क्या दोष था? बीजेपी कभी साबित नहीं कर पायेगी।
पूरे बिहार के छात्र एवं युवा कन्हैया के साथ खड़े है।"
अपने अगले ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा है कि बीजेपी को युवाओं के डेमोक्रेटिक राइट्स व स्पेस में दखलदांजी नहीं करनी चाहिए।
  "BJP युवाओं के डेमोक्रेटिक राइट्स व स्पेस में दखलदांजी बंद करे अन्यथा जिस दिन इस देश के सारे छात्र एवं युवा एक हो गए आपको कोई ठौर नहीं मिलेगी।"
तेजस्वी ने अपने अगले ट्वीट में भाजपा से कहा है कि आपके स्कूल ऑफ़ थॉट से हमें देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
  "हम देशभक्त है,बाबासाहेब के संविधान व लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं। आपके"स्कूल ऑफ़ थॉट" से हमें देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।

Wednesday, February 17, 2016

Inside Story :भाजपा की स्टूडेंट इकाई एबीवीपी में दो फाड़,कन्हैया तिहाड़ जेल के कमरा नंबर तीन में बंद

जेएनयू मामले में एक नया मोड़ आ गया है जिससे भाजपा की मुश्‍किलें बढ़ सकतीं हैं। जेएनयू विवाद को लेकर चल रहे घमासान के बीच भाजपा की स्टूडेंट इकाई एबीवीपी में दो फाड़ हो गया है। खबर है कि एबीवीपी के जेएनयू यूनिट के जॉइंट सेक्रेटरी प्रदीप नरवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है यहीं नहीं इसके अलावा एसएसएस के एबीवीपी यूनिट के प्रेजीडेंट राहुल यादव और एसएसएस के एबीवीपी यूनिट के सेक्रेटरी अंकित हंस ने भी अपने अपने पद छोड़ दिए हैं। इस बात की जानकारी प्रदीप ने अपनी फेसबुक वॉल के माध्‍यम से दी है।
आपको बता दें कि 9 फरवरी को जेएनयू परिसर में भारत के विरोधी लगे नारों पर लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया आई जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों को दो भागों में बंटते देखा गया। एबीवीपी के जेएनयू यूनिट के जॉइंट सेक्रेटरी प्रदीप नरवाल के मुताबिक केंद्र सरकार ने मामले को जिस तरीके से हस्तक्षेप किया है वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया।
इधर, पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई के बाद जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को बुधवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब वह दो मार्च तक जेल में रहेंगे। कन्हैया को तिहाड़ की जेल नंबर तीन में कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। कन्हैया पर हमले के बाद शीर्ष अदालत को भी इस मामले में दखल देना पड़ा। पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली पुलिस की आयुक्त बीएस बस्सी को तलब किया। निचली अदालत में मचे हंगामे के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से भेजे गये पांच वकीलों की टीम पर पत्थर फेंके गये। उनके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के वकीलों के एक धड़े ने नारेबाजी की। इससे पहले कन्हैया ने पटियाला कोर्ट को दिये बयान में कहा कि कोर्ट परिसर में भीड़ ने उसके साथ मारपीट की।
वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान बुधवार दोपहर फिर अराजकता दिखी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार की सुबह 10:30 बजे तक दिल्ली पुलिस से पूरे मामले पर रिपोर्ट देने को कहा है। 18 से भाजपा का ‘जन स्वाभिमान अभियान': देश विरोधी आवाजों को अभिव्यक्ति की आजादी के तौर पर पेश करने और गुमराह करने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए भाजपा गुरुवार से तीन दिवसीय अभियान चलायेगी। 18 से 20 फरवरी तक ‘जन स्वाभिमान अभियान' चलाया जायेगा। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता धरना देंगे।
तिहाड़ जेल के कमरा नंबर तीन में बंद
कन्हैया ने रिमांड सुनवाई के लिए पेश किये जाने पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से कहा कि मैंने पहले भी कहा है। मैं भारतीय हूं। मुझे देश के संविधान और न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है। मेरे विरुद्ध मीडिया ट्रायल पीड़ादायक है। यदि मेरे विरुद्ध सबूत है कि मैं गद्दार हूं, तो कृपया मुझे जेल भेज दीजिए। यदि मेरे खिलाफ सबूत नहीं हैं, तो मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए। उसके इस बयान पर पुलिस ने कहा कि वह उसकी जमानत का विरोध नहीं करेगी।
पत्थर फेंके गये गालियां दी गयीं
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद दिल्ली पुलिस पटियाला हाउस कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था कायम करने में नाकाम रही। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से भेजे गये पांच वकील पटियाला हाउस पहुंचे। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट को पटियाला हाउस में हुई घटना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान उस पर हमला हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रूम खाली करने का आदेश दिया। बाद में सुनवाई रोक दी। फिर वकीलों की टीम ने शीर्ष अदालत को बताया कि मी लार्ड कोर्ट परिसर में हमारे ऊपर बोतल और पत्थर फेंके गये और गालियां भी दी गयीं। इस टीम में कपिल सिब्बल, राजीव धवन, दुष्यंत दवे, एडीएन राव, अजित सिन्हा और हरिन रावल शामिल थे।

दलितों और मुसलमानों को ही क्यों देशद्रोही बना देती है संघ

संघ द्वारा संचालित मोदी सरकार की पक्षपात कोई नई बात नहीं है लेकिन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह बात खुलकर सामने आयी है कि संघी सरकार केवल मुसलमानों और दलितों के खिलाफ कार्यवाही करती है और उनपर आसानी से देशद्रोह का आरोप लगा देती है लेकिन चरमपंथी सवर्ण हिंदूओ के मुकाबले में गीदड़ बन जाती है और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक़, मृत्युदंड पाने वालों में कुल 75 फ़ीसदी और चरमपंथ को लेकर दी गई फांसी में 93.5 फ़ीसदी सज़ा दलितों और मुस्लिमों को मिली है। ऐसे में पक्षपात का मुद्दा उभरता है।
मालेगांव धमाकों का उदाहरण देते हुए कुछ लोग यह आरोप लगाते हैं कि अगर चरमपंथी गतिविधियों में सवर्ण हिंदुओं के शामिल होने का मामला हो तो सरकार सख़्ती नहीं दिखाती है।
बेअंत सिंह के हत्यारों को फांसी देने की जल्दी नहीं है। राजीव गांधी के हत्यारों की सज़ा कम कर उसे उम्रक़ैद में तब्दील कर दिया गया है। इन लोगों को भी चरमपंथ का दोषी पाया गया था। लेकिन सबको समान क़ानून से कहां आंका जा रहा है?
इन सबमें मायाबेन कोडनानी को छोड़ ही दें, जिन्हें 95 गुजरातियों की हत्या के मामले में दोषी पाया गया था, लेकिन वे जेल में भी नहीं हैं।
तो क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता कि बीजेपी और आरएसएस मिलकर लोकतंत्र को कुचल रहे है और भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलना चाहते है। इसी कारण जो भी उनकी विचारधारा के अनुसार नहीं बोलता उसपर हमला शुरू कर दिया जाता है इस प्रकार अभिव्यक्ति की आजादी खतम होती जा रही है।

गोगोई ने कहा, असम के लोग प्रधानमंत्री के इस झांसे में नहीं आऐंगे

गुवाहाटी !  असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बुधवार को कहा कि असम की जनता ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के राज्य के दौरे पर स्वस्फूर्त और उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व हवा कांग्रेस के पक्ष में चल रही है।
गोगोई ने कहा कि गोहपुर, बिहपुरिया, तीताबोर और शिवसागर में हुई राहुल गांधी की जनसभाओं और पदयात्रा में उमड़ी भीड़ यह दर्शाता है कि लोग कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी द्वारा आम चुनाव के दौरान किए गए अच्छे दिन लाने के झूठे वादे और राज्य से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर पलट जाने के कारण जनता कांग्रेस के साथ हो गई है, क्योंकि जनता जानती है कि यह पार्टी धर्मनिरपेक्ष, गरीबों की हिमायती और विकास केंद्रित है।"
गोगोई ने कहा कि मोदी सरकार ने विशेष श्रेणी का दर्जा वापस लेकर धन का प्रवाह रोक दिया, केंद्र प्रयोजित योजनाओं और बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के वित्तीयन तरीके बदल दिए, पूर्वोत्तर औद्योगिक एवं निवेश संवर्धन नीति को निलंबित कर दिया, मनरेगा और अन्य गरीब समर्थक योजनाओं के बजट घटा दिए।
उन्होंने कहा कि मोदी सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर पलट गए हैं, जैसे विदेशियों को वापस भेजने, और बांग्लादेश के साथ भूमि की अदला-बदली समझौता। उन्होंने कहा कि यह सब इस बात को साबित करता है कि केंद्र सरकार का दोहरा मापदंड सामने आ गया है।
गोगोई ने कहा, "असम के लोगों ने महसूस किया कि वे प्रधानमंत्री के इस झांसे में आ गए कि वह उनके लिए कुछ करेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। यह दोहरी नीति आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ जाएगी।

JNU : अपना नाकामी छिपाने के लिए खुन का खेल

प्रकाश नारायण सिंह

सियासत के कायदे वही हैं जो राजनीति को रास्ता दिखाएं. जीत के जज्बे को पैदा करने से लेकर सत्ता हथियाने तक धर्म, जाति और ‘राष्ट्रवादी हुंकार’ एक अहम जरिया रहा है.

जब आप जीते थे तो आप सभी की स्याही से सूबे की तकदीर लिखने की उम्मीद थी. आप लोगों की महत्वकांक्षा के नाग ने सच्चे लोकतंत्र को, गरीबी को, भूख को, सुरक्षा को, इंसानियत को, मानवता को डंस लिया. हां, हमारे सियासी मालिक आप ही की बात कर रहा हूं. भय को, भूख को, भ्रष्टाचार को दफनाने के बजाए आप सभी ने हमारी उम्मीदों को दफना दिया. हमने तो आपको अपना हुक्मरान माना, आपको सिर आंखों पर बैठाया, अपनी समस्याओं का समाधान बनाया लेकिन आप उत्पीड़ित अस्मिताओं के निर्मम शोषण का उपकरण बन गए सियासी मालिक.. बताइए ना हमसे चूक कहां हो रही है. समझाइए अब हम क्या करें..

राष्ट्रभक्ति का सर्टिफिकेट आप तो मत ही दीजिए?

फिलहाल ‘हस्तिनापुर’ की सियासत कठघरे में है. विकास के मुद्दे पीछे छूट गए. धर्म और ‘राष्ट्रवादी हुंकार’ का कॉकटेल बनाया जा रहा है. आम लोगों के मुफलिसी के इस दौर में महंगी आलीशान गाड़ियों में सुरक्षा घेरे के बीच चलना और सियासी शिगूफे छोड़ अपना वर्चस्व साबित करने की कोशिश करना कथित राष्ट्रवादी और धार्मिक ठेकेदारों का अहम पेशा रहा है. ठेकेदारी की ये दुकान छोटी से लेकर बड़ी तक है. जिसकी जैसी दुकान उसकी सियासत में उतनी हिस्सेदारी. विहिप, बजरंग दल से शुरू हुई ये सियासी सेना श्रीराम सेना, ये सेना वो सेना पता नहीं कौन कौन सेना तक बन गई…..आजकल तो हमारे यूपी में तीर धनुष की ट्रेनिंग दी जा रही है आईएसआईएस से लड़ने के लिए.. अरे भाई जब तीर धनुष ही काफी हैं तो भारतीय सेना क्या धान काटेगी? क्या इनको भारतीय सेना पर भरोसा नहीं रहा? खैर.. फिलहाल मुद्दा ये नहीं है.

मैं पहले ही साफ कर दूं कि संविधान के खिलाफ हर नारे का मैं विरोध कर रहा हूं. लेकिन इन नारों के सहारे जो सियासत हो रही है उसे बेहद खतरनाक मानता हूं. बंद करिये सर्टिफिकेट देना.. ये देशद्रोही वो देशद्रोही.. मैं ज्यादा राष्ट्रभक्त.. मैं हिन्दू भक्त.. मैं फलां भक्त.. अरे मैं से बाहर निकलिए और हम के बारे में सोचिए. जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय से रोशनी निकलती है. और रोशनी का वजूद ही अंधेरे के खिलाफ प्रतिरोध है. धर्मांध और कट्टर लोगों के मन में इस विश्विद्यालय के लिए बराबर नफरत क्यों पलती है? शटडाउन जेएनयू का हैशटैग कितना खतरनाक है ये सोचकर ही मन कांप जाता है. राष्ट्रवादी समय में ‘हम’ और ‘वो’ शब्द बेहद शातिरता के साथ इस्तेमाल किए जा रहे हैं. आम लोगों और देश के बीच की रेखा को भी धुंधला किया जा रहा है. बस जो आपके विचार के साथ नहीं है वह देशद्रोही. ये कैसा सर्टिफिकेटवाद है साहब. मेरा सिंगल सवाल.. नारों के मास्टर माइंड को पकड़ने के लिए क्या अब एफबीआई के जवान आएंगे! आपकी रॉ से लेकर दिल्ली पुलिस तक के हत्थे वह क्यों नहीं चढ़ रहा है? दिल्ली पुलिस महज चंद घंटे में जेएनयू के प्रेसिडेंट कन्हैया को गिरफ्तार करती है जिसका नारे लगाते कोई अभी तक वीडियो भी नहीं आया लेकिन जो नारे लगा रहे थे उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. उनको आप गिरफ्तार करने से क्यों बच रहे हैं. हमें पता है कि कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाने के लिए बन रहे माहौल में दिक्कत आएगी. सत्ता के लिए देशभक्ती का तड़का मत लगाइए. ये आग से मत खेलिए हुजूर.. आपके बच्चे तो ऑक्सफोर्ड में पढ़ते हैं. कमांडों की सुरक्षा के बीच में रहते हैं.. हमारे बच्चे जलेंगे.. मरेंगे.. और कटेंगे.

कानून के रक्षक संस्कृति के रक्षक बन कर पटियाला हाउस कोर्ट में पत्रकारों के साथ मारपीट की. और उतना ही नहीं आपके विधायक जी तो ऐसे ‘कथित आत्मरक्षा’ में पीटाई करने लगे जैसे मुंबईया डॉन हों. वकीलों की आड में आपके ‘सेवकों’ की करतूत से भारत मां गौरवान्वित होंगी.. क्यों हुई होंगी न.. बोलिये ना.. आप नहीं बोलेंगे क्योंकि आपको उतना ही बोलना है जिससे की सत्ता हथियाने में सफलता मिलती रहे. हमें पता है कि निरंकुश होने की चाह वाली किसी भी सत्ता की आंख में सबसे पहले पत्रकार, लेखक और बुद्धिजीवी ही खटकते हैं. क्योंकि यही वे लोग हैं जो सत्ता की पोल खोलते हैं. जनता की आवाज को सत्ता के गलियारे में शोर बनाते हैं. और मधुर संगीत के साथ सोमरस में डूबी मदहोश सत्ता को कर्कश शोर से चिढ़ होती है.

लोकतंत्र का ये हिस्सा भी पढ़ लीजिए!

मुझे तो बस इतनी भर इल्तिजा करनी है कि शोर और चीत्कार के बीच कुछ आवाजें कहीं सहमी और दुबकी हुई हैं. बेआवाज की मानिंद बस उस बेआवाज की आवाज सुन लीजिए. बेशक होंठ सिले नहीं गए हैं लेकिन आपके गुंडों की खौफ से लरज रहे हैं. आप समझ रहे हैं न..आप तो मजलुम के घर पैदा हुए थे. आप गरीब और कमजोर के डर को महसूस कर रहे हैं साहेब.

सुनिए जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया की मां ने कहा है, “हमें जब से पता चला है कि कन्हैया को गिरफ्तार कर लिया गया है, तब से हम लगातार टीवी देख रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि पुलिस उसे बहुत ज्यादा नहीं पीटेगी. उसने कभी भी अपने माता पिता का अपमान नहीं किया, देश की बात तो भूल ही जाइए. कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी नहीं बोलिए. वह यह नहीं हो सकता है.” मीना एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और साढ़े तीन हजार रूपये प्रति माह कमाती हैं. उनके 65 वर्षीय पति लकवाग्रस्त होने की वजह से सात सालों से बिस्तर पर हैं.

आप तो संसद में घुसे तो कैमरे की चमकती रोशनी में माथा टेका. कसम से.. मेरा दिल भर आया. मैं उसे ड्रामा नहीं समझा. चलिए अब आपको कुछ लोकतंत्र का इतिहास दिखाता हूं. देख लीजिएगा चश्मा साफ करके. 1965 में जब अमेरिका ने वियतनाम के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा था, तब अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में ही ऐसे लेक्चर्स की शुरूआत की जिसमें लड़ाई के खिलाफ बातें की जाती थीं. लेकिन उनके इस विरोध को न ही देशद्रोह माना गया और न उन पर कोई कार्रवाई हुई बल्कि यूनिवर्सिटी ने उन्हें उसे जारी रखने की इजाजत दे दी.

1965 से 1973 के बीच पूरे अमेरिका के विश्वविद्यालयों में वियतनाम युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे, छात्रों ने इस दौरान अमेरिकी झंडे भी जलाए. लेकिन तब भी किसी पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं किया गया. सिर्फ उन छात्रों को गिरफ्तार किया गया जो सीधे तौर पर हिंसा में शामिल थे. इसी तरह फरवरी 2003 में इराक युद्ध के खिलाफ भी अमेरिकी विश्वविद्यालयों में छात्रों ने प्रदर्शन किया लेकिन तब भी छात्रों के उस विरोध को देशद्रोह की श्रेणी में नहीं रखा गया.

आर्थिक मुदे पर नाकाम है सरकार?

अब हम आपको बताएंगे कि जेएनयू जैसे विवाद अब रोज आप क्यों चमकाएंगे. खैर चलिए कुछ उस पर आपका ध्यान दिला दूं जो आपको करना था लेकिन किये क्या.. देश की आर्थिक नब्ज बताने वाले शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स फिसलकर उस स्तर से भी नीचे पहुंचा हुआ है, जिस स्तर पर मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी. प्रसिद्ध इतिहासकार राचंद्र गुहा के इस ट्वीट पर ध्यान दीजिए..

The comments by the Home and HRD Ministers on JNU only demonstrate that in this Cabinet, patriotism is the first refuge of the incompetent.

— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) February 13, 2016
रुपया भी सबसे निचले स्तर के करीब है. एक डॉलर की कीमत करीब 68 रुपए है. औद्योगिक विकास दर भी लाल निशान दिखा रहा है. मई 2014 में 4.7 फीसदी रहने वाली औद्योगिक विकास दर दिसंबर में माइनस 1.3 फीसदी रही. इस साल आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी का अनुमान भी भी घटाकर सात से साढ़े सात फीसदी के बीच कर दिया गया है. पहले इसके आठ से साढे आठ फीसदी के बीच रहने का अनुमान था. सरकारी बैंकों का बढ़ता घाटा भी मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ा रहा है. दिसंबर में खत्म तिमाही में आठ सरकारी बैंकों का घाटा कुल मिलाकर दस हजार करोड़ के पार पहुंच गया है.

सरकार ने पिछले बजट में राजस्व घाटा 3.9 फीसदी तक ले आने का अनुमान रखा था. लेकिन एक तो सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने से उम्मीद से कम कमाई हुई है. वहीं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के साथ-साथ वन रैंक वन पेंशन के लिए अतिरिक्त प्रावधान करने के मोर्चे पर भी परेशानी है. इसका हल सरकार किस तरह निकालती है, ये तो 29 फरवरी के बजट से साफ हो सकेगा. साल 2015-16 में आयकर और कॉरपोरेट टैक्स जैसे डायरेक्ट टैक्स से कमाई में भी 40 हजार करोड़ की कमी आने का अनुमान है. हालांकि पेट्रोल और डीजल पर लगातार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर और सर्विस टैक्स जैसे इनडायरेक्ट टैक्स से सरकार किसी तरह तय लक्ष्य के मुताबिक कमाई कर पाएगी. काले धन के मोर्चे पर भी सरकार उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी. विपक्ष के आरोपों के बीच उद्योग जगत भी दबे मुंह कह रहा है कि योजनाएं जारी करने से ज्यादा उनके अमल पर ध्यान देने की जरूरत है.

वोटों की गुल्लक भरने वाली सियासत!

‘कांइयापन’ के ‘स्विंग’ से अक्सर हम भोले हार जाते हैं! वोटों की गुल्लक को भरने के लिए रथयात्रा निकाले गए. दो भाइयों को हिन्दू और मुसलमान में बांटा गया. तहजीब पर कई जगहों पर दंगों के रूप में तमाचे पड़े. ये देश अंदर और बाहर से आग में धधकने लगा. कई जगहों पर इंसानियत को गहरे जख्म मिले. और फिर शुरू हुई वोटों की फसल काटने का सिलसिला..हर चुनाव में.. या जब आर्थिक नाकामी घेरती है तो राष्ट्रभक्ती जागती है. गाय भक्ती तो बिहार चुनाव में जगी ही थी. उससे पहले यूपी विधानसभा चुनाव में लव जिहाद का लिटमस टेस्ट फेल हुआ था.

‘हम भारत के लोग’ पता नहीं कब जाति, धर्म और ‘हुंकार’ पर समझदार होंगे. हम कब भूख, भय और भ्रष्टाचार पर सही समय पर सही निर्णय लेंगे? हम कब वोट की चोट को व्यवस्था के कोढ़ पर मारेंगे? मुझे समझ नहीं आता कि हम कब सच्चे अर्थों में ‘लोकतंत्र का राजा’ बनेंगे?