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Friday, May 22, 2015

जंगल राज किसे कहते हैं..?

राकेश यादव


अक्सर सवर्ण और मनुवादी मानसिकता के लोग या अज्ञानता के कारण वैसे दलित पिछड़े जो आर्य व्यवस्था तथा मनुस्मृति को नही जानते दलित पिछडो की सरकार को 'जंगल राज' कहते हैं.
मात्र 15% मनुवादियों की शाषण पिछले हजारों साल से चली आ रही है. विदेशी आक्रमणों के समय भी ये सिर्फ और सिर्फ अपनी स्वार्थ लिप्सा के कारण उनको प्राश्रय दिया करते थे. शाहूजी महाराज के समय से ही दलित पिछडो को सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक क्षेत्र में कुछ अधिकार और सम्मान मिलने लगा. वे पिछडो के लिए विधालय निर्माण, छात्रावास निर्माण, नौकरियों में आरक्षण तथा शिक्षा में आरक्षण को लागू किये जिसका कि बाल गंगाधर तिलक नामक ब्राह्मण ने पुरजोर विरोध भी किया था. ज्ञात हो कि शाहू जी महाराज कोल्हा पुर के पिछड़े वर्ग से आनेवाले और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज थे.
अब उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए बिहार में भूमिहार और ब्राह्मण वर्चस्व को तोड़कर पिछड़े समाज से आने वाले नेता लालू प्रसाद सीएम बने. सामंतवाद का अड्डा बना बिहार को और यहाँ के लोगो को सामंत और सवर्णवाद रुपी मानसिक गुलामी से आज़ादी दिलवाए. जब से बिहार के राजनीति में लालू प्रसाद का प्रादुर्भाव हुआ तब से शान्ति और भाईचारा का एक नया मिशाल कायम हुआ. धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर लालू प्रसाद के कारण 1990 के बाद बिहार में कभी हिंसात्मक दंगा नही हुआ.
अगर ऐसे पिछड़े शाषक और शाषण को 'जंगल राज' कहा जाए तो वाकई में दलित पिछडो के राज माने जंगल राज ही हो सकते हैं.


लेखक बैकवर्ड'स न्यूज़ नवजागरण के सम्पादक हैं।

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