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यहाँ भी बहुत कुछ है।

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Tuesday, December 22, 2015

जज़्बातों से खेलना बंद करें ।

अरविन्द मंडलोई
जो बात मैं लिखने जा रहा हूँ उसको सिर्फ इस संदर्भ में समझिये कि समाज का जो मनोविज्ञान है वो क्या है ? हर आदमी एक खास मुकाम हासिल कर जिन्दा रहना चाहता है । हर आदमी अपने काम को कर्त्तव्य नहीं समाज पर एहसान मानता है । केन्द्रीय कार्यालयों में सेवारत चपरासी और बाबू भी तथाकथित ईमानदारी से प्राप्त गाड़ियों पर भारत सरकार लिखाकर घूम रहे हैं और जो प्रदेश सरकार के कर्मचारी हैं उनकी गाड़ी के नंबर प्लेट के ऊपर मध्यप्रदेश शासन सुशोभित होकर समाज में उनके महत्वपूर्ण होने का तमगा चस्पा किये सफर में उनके साथ–साथ दिखता है । वो अधिकारी जो जनसेवक होने की कसम उठाते हैंउनके परिवार के सभी लोग घर की सभी गाड़ियों पर लाल–पीली बत्ती लगाकर सड़कों पर अंग्रेजों की तरह आवाजाही करते हैं और गाड़ी में बैठते वक्त अन्दर से बाहर की ओर इस तरह देखते हैं कि जैसे ये गुलाम हमारी सड़कों पर हमारे साथ सफर क्यों कर रहे हैं ? राजनैतिक दलों की हालत यूं है कि वो जनता के प्रतिनिधि नहीं मालिक हो जाना चाहते हैं । घर के बाहर से लेकर चौराहे के पोस्टरों तक भैयाजी, काकाजी छाये हुए हैं । पांच वर्ष पहले तक पुलिस का हिस्ट्रीशीटर गुन्डा भैयाजी बने हुए जन्मदिन की बधाइयां ले रहा है। हार पहने हुए तस्वीर खिंचवा रहा है और देश के एक नंबर से लेकर मोहल्ले के एक नंबर तक नेता उनको जन्मदिन की बधाइयां दे रहे हैं। हर दूसरी गाड़ी विधायक, सांसद लिखकर लोकतंत्र की सड़क पर जनता की आंखों में उड़ती हुई धुल को झोंककर चल रही है ।
मगर इन दिनों ये खेल करवट बदले हुए है और इस बदले हुए खेल में अब साहित्य ने भी अपनी जगह बना ली है । साहित्य से मेरा बेहद निजी लगाव रहा है । मगर उस क्षेत्र में जब इस खेल ने अपनी जगह बनाई है तो मन बहुत दुःखी हुआ है । दुःख तो इस बात का भी है कि एक अजीबो गरीब खाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है । भारत और पाकिस्तान की आबादी की अदला–बदली की तरह विचारों की कट्टरता की अदला–बदली ने दंगे और दंगों के बाद शहर में अपनी–अपनी पहचान बनाती बस्तियों की शक्ल इख्तियार कर बैठी है । इन बस्तियों के नाम भी कौमों के नाम पर होने लगे हैं । मानो यहां इन्सान नहीं धर्म भी रहता हो । बिल्कुल ऐसा ही खेल साहित्य के खिचड़ी भी खेल रहे हैं । श्री अशोक वाजपेयी ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया । खबर के साथ मुख्य पृष्ठ पर उनकी तस्वीर थी । जबकि इसके कुछ दिनों पूर्व वे इन्दौर में कविता पाठ करने आये थे और अखबारों में छपी यह तस्वीर बता रही थी कि उनका कविता पाठ सुनने के लिए बामुश्किल 10-20 लोग ही मौजूद थे। फिर पता नहीं कितने नामवर साहित्यकारों ने एक के बाद एक बरसों पहले लिए गये साहित्य अवार्ड दनादन वापिस कर दिये । अचानक साहित्यकारों में एक वैचारिक क्रांति पैदा हो गयी और वे जज्बाती हो गये। पुरस्कार लौटाने वालों में कुछ वामपंथी हैं कुछ शामपंथी हैं । वो जो वामपंथी हैं वो घर के खूबसूरत ड्राइंग रूम में ए.सी. चलाकर रोटी पर खूबसूरत कविता लिखते हैं। भूख और चिथड़ों की शक्ल में गरीबी के दर्द को बयां करते हैं, मगर अपने नौकर को भी तनख्वाह छुट्टी के दिन की काटकर देते हैंऔर बड़ी फ़ेलोशिप और डॉक्टरेट हासिल करते वक्त कभी उनकी विचारधारा आड़े नहीं आती है ।
मल्टीनेशनल कंपनियों के रंगीन चश्मों से वे भारत को देखते हैं । उनके बच्चे विदेशों में शिक्षा हासिल करते हैं । सुख और सुविधाएँ उनके आगे–पीछे चbती हैं और जब अवार्ड लौटाना हो, सुर्खियों में छा जाना हो और कुछ खास बन जाना हो तो वे अचानक कहते हैं कि अरे भाई …. लिखने और बोलने की आजादी छीनी जा रही है । नरेन्द्र दाभोलकर, गोविन्द पानसरे, एस. कुलबर्ग जैसे लोग जो अपनी विचारधारा, अपने काम के चलते क़त्ल कर दिये गये, वो lसिर्फ जमीनी काम करते थे ओर उनके शहादत के बाद ही लोगों को पता चला कि वे कितने बड़े लोग थे । इस तरह उनका क़त्ल किया जाना बहुत निंदनीय है । वो कबीर, तुलसी, मीरा, अमीर खुसरो, ग़ालिब, प्रेमचन्द आदि की परंपरा के लोग थे, वो जनता के बीच में से थे । समाज के दर्द और हालात को अपने अन्दर समेट लेने के नतीजे में सदाहत हसन मांटो और मजाज को कम उम्र में मौत ही नसीब नहीं हुई बल्कि जवानी के दिन भी पागलखानों में गुजारना पड़े । पर उनकी मौत के बाद ये अचानक कौन लोग हैं जो सरकार के साथ खेल खेल रहे हैं । इनमें से एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने कभी जनता के बीच जाकर काम किया है ? जिसने कभी भूख और रोटी के मध्य अन्तर समझा हो? वो वामपंथी अब कहां हैं जो कभी शैलेन्द्र की शक्ल लिए मजदूरों के बीच जाकर कहते थे कि ”तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर” अली सरदार जाफरी, सज्जाद जहीर, भीष्म साहनी… कहां हैं ये लोग जिन्होंने जनता की आवाज को अपनी आवाज बनाया है ? बाबरी मस्जिद गिराये जाने के बाद कैफी आज़मी दिल्ली की यात्रा पर थे, उसी दिन दिल्ली में बाबरी मस्जिद के गिराये जाने के विरोध में एक विरोध प्रदर्शन था, प्रधानमंत्री ने उन्हें चाय पर आमंत्रित किया था पर वे प्रधानमंत्री के पास चाय पीने नहीं गये, बल्कि उस प्रदर्शन में शरीक हुए जहां जनता उसके गिराये जाने का अफसोस मना रही थी । जिनकी कथनी और करनी एक थी । जो न कभी किसी अवार्ड को लेने के लिए लपके और न लौटाने के लिए भागे । समाज की ये कौन सी अग्रज पीढ़ी है जो मारे जाने वाले साहित्यकार के घर अफसोस जताने नहीं जाती है, सीधे दिल्ली जाती है क्योंकि सुर्खियां सिर्फ दिल्ली में है, ये सारा खेल दिल्ली में है और जो शामपंथी हैं याने कि जो शाम के समय काफी हाउस से घर जाते समय किसी खूबसूरत हेरीटेज में रुकते हुए अंग्रेजी शराब की चुस्कियां लेते हुए ये सोचना शुरु करते हैं कि भाई देश में ये क्या हो रहा है और देश में ऐसा क्यों हो रहा है ? इन्होंने बड़ा गजब किया है, भाई ये लौटा रहे हैं, इनके पास जो है, ये जो इन्होंने हासिल कर लिया है, उसे ये त्याग रहे हैं, उसे ये छोड़ रहे हैं । घर पहुंचते–पहुंचते विचारों का समन्दर पूरे उफान पर आ जाता है और सुबह अखबार उनके विचारों के तुफानोंके गुजर जाने का एहसास हमें एक लेख रुप में करा देते हैं । जबकि उलट सफाई यह है कि बेहद जरुरत है जमीनी कार्य करने की ।
अशफाक को हिन्दू आबादी में घर नहीं मिलता और मनोज के घर में दाल की कीमत इतनी बढ़ गयी है कि आज दाल कम… पानी ज्यादा है…, उनका मालिक भ्रष्टाचार से परेशान है, टेक्स की मार उसे खाये जा रही है, बच्च्वे स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं, उनकी फीस उसे ज्यादा लग रही है … वामपंथी और शामपंथी उनके लिए कुछ नहीं कर रहे हैं तीनों को पता नहीं कि रोटी, भूख और घर पर कविताएं लिखी जा रही हैं और लिखे जाने का असर इन पर नहीं है … उसकी वजह सिर्फ यह है कि लिखने वालों का समाज से कोई लेना देना नहीं है । समस्याओं को शब्दों की शक्ल देकर नीचे अपना नाम छपवाकर ये समाज में महत्वपूर्ण हो गये हैं । इनकी किताबें बिकती नहीं है । कुछ लोग सिर्फ अपनी लाइब्रेरी में इनकी किताबों को सजावट की तरह रखते हैं । जब इस तरह के खेल चलते हैं तो दिल से जो जज्बाती लोग होते हैं, वे भी इसका शिकार हो जाते हैं और कभी–कभी इसमें शरीक भी हो जाते हैं, उनका सिर्फ इस्तेमाल होता है ।
उर्दू के बड़े शायर रघुपति सहाय अपनी जवानी के दिनों में कांगे्रस के अण्डर सेके्रटरी हो गये थे और एक वर्ष से अधिक जेल में रहे थे । मगर आजादी के पश्चात् उन्होंने कभी भी कांगे्रस का झंडा नहीं उठाया । धर्म निरपेक्षता के शब्द के आवरण में जो लोग छिपे हैं उनकी सफाई को जानने के लिए यह काफी है कि तत्कालीन वाईसराय लार्ड वेवल से शिमला में बात करते हुए कांग्रेस की सदस्यता की संख्या के आधार पर मोहम्मद अली जिन्ना ने उसे हिन्दुओं की पार्ट कहा था और बाद में उन्होंने मुसलमान की समस्याओं को अनदेखा करने का इल्जाम इसी पार्ट पर लगाते हुए मुस्लिम लीग की सदस्यता ग्रहण कर ली थी । तब कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने यह नहीं कहा था कि हम धर्म निरपेक्ष हैं और हम सदस्यता नहीं धर्म निरपेक्षता के आधार पर मुसलमानों को अपने साथ रखेंगे । सत्ता को हासिल करने के इस संघर्ष में जिन लोगों ने नेतृत्व किया था वो चाहे नेहरु हों या जिन्ना हों, धर्म से उनका कोई ताल्लुक नहीं था यह सर्वविदित सत्य है और सबको पता है। हुकूमत मिलते ही दोनों ने धर्मनिरपेक्षता का आवरण ओढ़ लिया और उसके प्रचार प्रसार के नतीजे में हिन्दुस्तान का मुसलमान कांग्रेस के वोट बैंक में तब्दील हो गया, उसके धर्मनिरपेक्ष नेता मौलाना आज़ाद, जाकिर हुसैन वतन से प्यार करने वाले मुसलमानों को यह समझाने में कामयाब हो गये कि धर्मनिरपेक्ष देश का निर्माण हो रहा है, यहां अब धर्म कोई मसला नहीं है । अगर गाय इस देश का बड़ा इश्यू है तो इसका समझना भी जरुरी होगा कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गाय और बछड़ा था और वह स्पष्ट रुप से इंगित करता था कि माता के रुप में स्थान रखने वाली गाय हमारा चुनाव चिन्ह है, हमें वोट दीजिए ।
कांगे्रसी थोड़ा इतिहास में झांके तो उनको पता चलेगा कि कभी शाहबानो की शक्ल में और कभी राम मंदिर का टला खुलवाने की शक्ल में देश को क्या–क्या दिया । ये जो गाय का खेल है वह बड़ा पुराना खेल है । इसको कैसे–कैसे भुनाया जाता है इसका एक उदाहरण इस तरह है कि मध्यप्रदेश के एक पूर्व आयएएस अधिकारी मुख्य सचिव के पद से पदमुक्त होते ही भाजपा के सदस्य बन गये और अपनी साफ सुथरी छवि को भुनाने के लिए इसी पार्ट के भोपाल संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के उम्मीदवार हो गये । कांग्रेस को लगा कि भैया एक तो मुख्य सचिव और ऊपर से कायस्थ, ये जो वोटों का समीकरण है इनके पक्ष में है । तो उसने भी मुस्लिम वोटों के आधार पर अपना ट­म्प कार्ड फैंका और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और भोपाल के वारिस–ए–नवाब मंसूर अली खां पटौदी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया । तब भाजपा ने बड़े जोरो से एक नारा दिया ”गाय हमारी माता है, नवाब इसको खाता है” और नवाब साहब जो कि अपने जमाने में पूरे देश के शहरियों के क्रिकेट हीरो थे जिन्होंने ने कभी हिन्दू कहा न कभी मुसलमान कहा, अपनी एक आंख गंवाकर भी देश के लिए खेलते रहे पर भारतीयों के क्रिकेट प्रेम के बावजूद भी इस नारे की बदौलत भारी मतों से चुनाव हार गये। यह उदाहरण साबित करता है कि गाय से हमारा रिश्ता जज्बाती है, क्योंकि हम मूल रुप से जज्बाती प्रकृति के लोग हैं। इसलिए कांग्रेस कभी उसको अपना चुनाव चिन्ह बनाती है और भाजपा उसके मां होने की याद याद दिलाती है ।
मुसलमान क्या खाते हैं ? क्या नहीं खाते हैं ? हिन्दू क्या खाते हैं ? क्या नहीं खाते हैं ? पसंद और नापसंद अपना निजी मामला है । उसे समाज का मसला बनाने के लिए श्रीनगर में एक विधायक रशीद इंजीनियर मुसलमानों की लम्बी हुकूमत और इतिहास की परंपरा में पहली बार सिर्फ मुसलमान होने के नाते बीफ पार्ट देते हैं । ताकि कुछ लोगों को यह बताया जा सके कि खाना भूख के लिए नहीं सियासत और वोट के लिए जरुरी है फिर यह एक खेल है जिसे मैं तुम्हारी तरफ से होकर खेलुँगा और दूसरे दूसरी तरफ से खेलेंगे। मेरी कौम के लोग इन जज्बातों से खुश होंगे। नतीजे में दिल्ली में दो लोग उन पर स्याही फैंक देते हैं। दोनों का काम हो गया… तो ये सुर्खियां बटोरकर हम अपने–अपने हलकों के हीरो हो गये। जो सारा माहौल है अगर इसे गहराई से देखा जाये तो नतीजे में तस्वीर बनती है कि मैं इन सबसे हटकर हूँ, जो आम शहरी है वो मैं नहीं हूँ… मैं तो खास हूँ… और मुझे आप खास मान लीजिये। पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह राष्ट्रपति जियाउल हक्क ने एक बार अनौपचारिक बातचीत में यह कहा था कि तुर्क, मिश्र या ईरान अपने आपको मुस्लिमदेश न माने तो भी वे तुर्क, मिश्र और ईरान ही रहेंगे।
अगर पाकिस्तान ने ऐसा कहना बन्द कर दिया तो वह भारत हो जावेगा। बलात्कार के इल्जाम में अब तक जमानत भी हासिल न कर पाने वाले आसाराम बापू की कथा सुनने के लिए भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी अपने पूरे होशो हवास में चले गये थे और आम भक्तों के बीच बैठकर उनके उपदेशों को ग्रहण किया था … तो ये जनता के साथ जो खेल है पूरी तरह जज्बाती है । जियाउल हक्क खेल रहे हैं मुसलमानों के साथ, तो कोई खेल रहा है हिन्दुओं के साथ। दुर्भाग्य से यह बीमारी साहित्यकारों में भी प्रवेश कर गई है, मेरा पाने और लौटाने वालों से अनुरोध है कि इस जज्बाती खेल में वे बिल्कुल शिरकत न करें, दोनों राजनैतिक दलों के चेहरे एक सरीखे हैं । जज्बातों को वोट में तब्दील करने की हुनरमंदी में दोनों एक से हुनरमंद हैं । जो मुसलमान हैं वो भी अब तक हिन्दू जात ओढ़े हुए हैं । कोई जुलाहा है, कोई रंगरेज है, कोई पठान है, कोई कसाई है, वे सिर्फ धर्म से मुसलमान हुए हैं। हिन्दु भी इसी तरह धोबी, हरिजन, ब्राम्हण, अगढ़े और पिछड़ों की तरह अपनी–अपनी जाते ओढ़े हुए हैं, सिर्फ धर्म से हिन्दू हुए हैं। धर्म के तमाम पैगम्बर, गुरु, चाहे वे गौतम बुद्ध हों, गुरु नानक या ईसा मसीह हो, आदि गुरु शंकराचार्य हों सभी ने कहा है कि ईश्वर का कोई स्वरुप नहीं है वो निराकार है और वे हर मनुष्य में हैं हर पल हर क्षण प्रकृति में हैं।
समाज में अपना स्थान सम्मानजनक बनाने के लिए उनके उपदेशोंको कुचलते हुए लोगों में उनके मठ मंदिर और न जाने क्या–क्या बना डालें हैं। धर्म की स्थिति भी यही है और जरुरत इस समस्या को मार देने की है। जमीनी काम करने वाले हमेशा उग्रपंथियों के शिकार हुए हैं, क्योंकि उनके जमीनी काम से लोग सीधे प्रभावित होते हैं और वोटों के खेल में ये सबसे बड़ा रोड़ा है। ये जो तमाम लोग हैं जो सुर्खियां बटोरने के लिए और कुछ अपने जज्बातों के कारण इस खेल में शरीक हुए हैं। वे अगर जमीनी कार्य करेंगे तो समाज की कुछ शक्ल बदलेगी। अशफाक भी हिन्दू बस्ती में रह सकेगा और मनोज की हण्डी में दाल ज्यादा और पानी कम हो जावेगा। मेहरबानी करके सुर्खियाँ बटोरने के लिए समाज पर छा जाने के लिए अपनी बातें समाज के मुँह में मत डालिये, साहित्य को इस खेल से दूर रखिये, भाषाओं को इससे दूर रखिये । कल जब भविष्य इस गुजरते हुए इतिहास को पढ़ेगा तो निश्चित ही वह हमसे ज्यादा समझ वाली पीढ़ी होगी तो वो अपने पुरखों के कारनामों पर अफसोस करेंगी । साहित्य के कारण ही आज भी भारत नास्तिक, धार्मिक, अधार्मिकवाद और विचार धाराओं के तूफान को भी झेलकर खड़ा है । साहित्य समाज का आइना है और आइना कभी झूठ नहीं बोलता । शोहरतें बटोरने, सुर्खियां पाने का साधन साहित्य को मत बनाइये, अपने पूर्वजों पर गौर करें जमीन के साथ जुड़ें और हकीकत की तस्वीर बदलने की कोशिश करें। आम आदमी की आवाज साहित्य के जरिये ही सत्ता तक पहुंच पाई है और शासकों व शोषकों को बार–बार अपने इरादे बदलने पर मजबूर करती रहे है, इसे उसी आवाज को बुलन्द करने का हथियार बनाये रखें।




Friday, December 18, 2015

डॉ खुर्शीद अहमद अंसारी की दो कवितायें ।

 

डॉ खुर्शीद अहमद अंसारी की दो कवितायें  ।

1-माँ
(आज फिर याद बहुत आई माँ)
तेरी दुआओं के साये,इस वहशत मे इक नूर से हैँ .
तेरे क़दमों मे जन्नत है, जो सबकी इक ख्वाहिश सी है
मैं क्या जानूँ जन्नत' दोज़ख सब कुछ तेरे नाम के बाद
तू जननी है, तू ही ममता ,तू दुनिया कि हर नैमत है
तेरे सदक़े यह जान मेरी , तेरे कदमोँ मे सब खुशियां
तू काश अगर जिन्दा होती मै फ़िर से तेरे कांधो पर
सर रख लेता और सो जाता !
मैं इक सदी से सोया कहां,
तुम फिर आतीं मै सो जाता

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2-ज़ीस्त

कुछ तो तुझको मनाने में गुज़री
और कुछ रूठ जाने में गुज़री
ज़िन्दगी तू बहुत कमीनी है
ज़िम्मेदारी ,निभाने में गुज़री
लम्हा ए इल्तिफ़ात की, तो न पूछ
जोड़ने और घटाने में गुज़री

Friday, September 25, 2015

Example of Prophet Ibrahim's Sacrifices Source of Guidance for Muslim Ummah : Syed Jallaluddin Umri

by Khalid

New Delhi, 25 Sep 2015: Eid al-Adha reminds us of the sacrifices given by Prophet Ibrahim. His whole life is replete with the sacrifices that one can imagine. Through his actions, he proved how dear the Deen of Allah is to him and for that Deen, he can sacrifice his own life, properties and even son. This is not an ordinary thing and that is why the practical example of sacrifices of Prophet Ibrahim was declared a source of guidance for the Muslim Ummah till Dooms Day. These views were expressed by Maulana Syed Jalaluddin Umari, Ameer (National President) of Jamaat-e-Islami Hind during the Eid al-Adha sermon at Masjid Ishaat-e Islam inside the campus of Jamaat here in New Delhi on 25th Sep.

In his speech, Ameer-e Jamaat elaborated upon four major sacrifices of Prophet Ibrahim. Maulana Umari said that Prophet Ibrahim offered a big sacrifice at every stage of his life.

First, Prophet Ibrahim got a chance to sacrifice his own life when he was thrown into a huge ring of fire for raising the voice of Islam. He did not budge and jumped into the fire. However, on the orders of Allah, the fire turned cold for Ibrahim. Second, he sacrificed his native place and had to migrate to Syria when asked to do so. He told the world that for the Deen of Allah, one has to migrate also. Third, in the old age, he prayed to Allah for a noble son. The prayers were granted and Hazrat Ismail was born to him. Allah again ordered Prophet Ibrahim to take wife and son to a desert and leave them there. He did so and his wife Hazrat Hajira also obeyed when she got to know this was the order of Allah. Fourth, when Hazrat Ismail turned 11 (or when he was able to walk as per some traditions), Hazrat Ibrahim saw in dream that he was slaughtering his son. When he narrated the story to Ismail, he asked father to execute the order of Allah. And Prophet Ibrahim succeeded in this trial also.

Ameer-e Jamaat said that in every stage of his life, Prophet Ibrahim proved that his life and death all was for Allah. That’s why all mankind to come has been asked to follow the path of Prophet Ibrahim. We should pray to Allah to guide us to follow the life of Prophet Ibrahim.

Tuesday, September 15, 2015

बिहार चुनाव: बीजेपी की पहली लिस्ट जारी,नंदकिशोर यादव को पटना साहिब गया शहर सीट पर प्रेम कुमार को टिकट

पटना. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में 43 कैंडिडेट्स के नाम शामिल हैं। बीजेपी की लिस्ट जारी होते ही सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(RLSP) नाराज हो गई है। पार्टी का कहना है कि सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत जारी थी। बातचीत पूरी होने से पहले ही बीजेपी ने अपनी लिस्ट जारी कर दी। ये गठबंधन धर्म के खिलाफ है।
जिन सीटों पर कैंडिडेट्स की घोषणा की गई है उन सभी पर पहले और दूसरे चरण में चुनाव होने हैं। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव पटना साहिब से चुनाव लड़ेंगे। चार बार से गया शहर सीट पर जीतने वाल प्रेम कुमार को एक बार फिर यहीं से उतारा गया है।
उम्मीदवारों की लिस्ट
बेतिया - रेणु देवी
पटना साहिब - नंदकिशोर यादव
रामगढ़ - अशोक सिंह
बोधगया - श्याम देव पासवान
मोतिहारी - प्रमोद कुमार
बेगूसराय - सुरेंद्र मेहता
अरवल - चितरंजन कुमार
औरंगाबाद - रामाधार सिंह
वजीरगंज - विजेंद्र सिंह
हिसुआ - अनिल कुमार सिंह
नोखा - रामेश्वर चौरसिया
बांकीपुर - नितिन नवीन
लखीसराय - विजय कुमार सिन्हा
झाझा - रविंद्र यादव
नवी नगर - गोपाल नारायण सिंह
गया शहर - प्रेम कुमार
बांका - रामनारायण मंडल
सूर्यगढ़ा - प्रेम रंजन पटेल
सराय रंजन - रंजीत निर्गुणी
रोसड़ा (एससी) - मंजू हजारी
तेघड़ा - रामलखन सिंह
मटिहानी - सर्वेश कुमार सिंह
बखरी (एससी) - रामानंद राम
परबत्ता - रामानुज चौधरी
बीहपुर - कुमार शेलेंद्र
गोपालपुर - अनिल यादव
पीरपैती - लल्लन पासवान
कटोरीया (एससी) - निक्की हेम्ब्रम
मुंगेर - प्रणव कुमार यादव
रजौली (एससी) - अर्जुन राम
हिसुआ - अनिल सिंह
मोहनीया (एससी) - निरंजन राम
चैनपुर - बृजकिशोर बिन्द
सासाराम - जवाहर प्रसाद
दिनारा - राजेंद्र सिंह
नोखा - रामश्वर प्रसाद चौरसिया
काराकट - राजेश्वर राज
गोह - मनोज शर्मा
गुरुवा - राजी दांगी
सीतामढ़ी - सुनील कुमार
बेनीपट्टी - विनोद नारायण झा
राजगीर - सत्यदेव नारायण आर्य
आरा - अमरेंद्र प्रताप सिंह

Monday, September 14, 2015

बिहार में एनडीए सीटों का बंटवारा बीजेपी 160, लोजपा 40, रालोसपा 23 और हम 20 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।


पटना. एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया है। अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीजेपी 160, लोजपा 40, रालोसपा 23 और हम 20 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। शाह ने कहा कि हम को 20 सीटें मिली हैं इसके साथ ही हम के कुछ कार्यकर्ता BJP के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम के कितने कार्यकर्ता बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ेंगे यह फैसला हमने मांझी पर छोड़ा है।
NDA में सीटों का बंटवारा: बीजेपी 160, लोजपा 40, रालोसपा 23 और हम को मिली 20 सीटें
दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि जंगल राज के साथ बिहार का विकास नहीं हो सकता है। जिस कांग्रेस पार्टी ने साढ़े 12 लाख करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया है और लालू प्रसाद के जंगल राज के साथ नीतीश कुमार कैसे सुशासन की बात कर सकते हैं। शाह ने कहा कि बिहार की जनता नीतीश को नहीं चाहती है।
अमित शाह ने कहा कि जिस महागठबंधन का मुखिया ही नहीं रहा तो अब महागठबंधन कैसा, पर एनडीए में भाजपा के साथ तीनों सहयोगी दल रालोसपा, हम और लोजपा एकजुट हैं। हमलोगों में कोई विवाद नहीं है। एकजुट होकर हमलोग चुनाव लड़ रहे हैं। एक साथ मिलकर हमलोग कार्यक्रम भी चला रहे हैं।
अमित शाह ने कहा कि जीतन राम मांझी को रविवार की रात बिहार भवन से निकाला गया। हम आम लिची तोड़ने से किसी को नहीं रोकते है। भले ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गया है पर प्रावधान के तहत किराये देकर बिहार भवन में रहा जा सकता है। हम इसकी शिकायत बिहार की जनता से करेंगे।


http://www.bhaskar.com/news/c-268-504139-pt0171-NOR.html

Saturday, September 12, 2015

राजस्थान की भाजपा सरकार नहीं देगी बक़रीद की छुट्टी, हाई कोर्ट जा सकता मुस्लिम समुदाय।



--फ़ैसल रहमानी
राजस्थान में मुस्लिम समुदाय के सरकारी कर्मचारियों के बीच सरकार के एक निर्देश को लेकर असंतुष्टि का माहौल देखा जा रहा है, और वह इसके खिलाफ़ हाई कोर्ट जाने पर भी विचार कर रहे हैं। राजस्थान सरकार ने 25 सितंबर को जनसंघ के विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर सभी प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में रक्तदान शिविर आयोजित करने का आदेश जारी किया है। ऐसे में रक्तदान शिविर आयोजन की यह तारीख़ ईद-उल-अज़हा यानी बक़रीद के दिन ही पड़ रही है, जिसके चलते हजारों मुस्लिम कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द हो जाएंगी। सभी प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों के प्रधानाध्यापकों को राज्य सरकार द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वह 24 सितंबर को किसी भी कर्मचारी को छुट्टी न दें। इस फैसले को लेकर विपक्ष ने भी सरकार की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार जानबूझ कर राज्य के धर्मनिरपेक्ष माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही है। वहीं जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय सेक्रेटरी सलीम इंजिनियर का कहना है कि यह मुस्लिम कर्मचारियों के मानव अधिकारों का खुला उल्लंघन है। ईद-उल-अज़हा मुस्लिमों के प्रमुख त्योहारों में से एक है, और यह आयोजन लोगों को उनका त्योहार मनाने से रोक रहा है। हालांकि उनका कहना है कि यह स्वैच्छिक है, लेकिन सर्कुलर में स्पष्ट लिखा हुआ है कि किसी को भी छुट्टी न दी जाए। वे इस मामले को लेकर हाई कोर्ट जाएंगे।

बिहार में तीसरा मोर्चा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होसकते तारिक़ अनवर

अल्पसंख्यक वोटरों को अपनी ओर खीचने की राजनीति तेज हो गई है। सपा ने इस  के तहत अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार अल्पसंख्यक को बनाने का फैसला किया है। वहीँ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने किसी से गठबंधन के संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। महागठबंधन पहले से ही अल्पसंख्यक वोटरों को अपनी ओर लुभाने के प्रयास में लगी हुई है।
समाजवादी पार्टी और एनसीपी के बीच गठबंधन लगभग अंतिम चरण में है। सूत्रों की माने तो थर्ड फ्रंट के नेता के रूप में सपा एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद तारिक अनवार को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करेगी। इसकी पूरी रणनीति बन गई है, इसकी औपचारिक घोषणा एक दो दिन में की जाएगी।
सीमाचंल के मुसलिम वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए सपा ने फैसला लिया है। राजनीतिक विशलेशक की माने तो सपा इसके तहत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यक को अपने साथ लाने का प्रयास करेगी।

वहीँ सामाजिक कार्यकर्ता  सरवर इक़बाल खान कहते हैं कि  सेक्युलर वोट यू पी ऐ के साथ है। मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएं गए। 
एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एलान किया है कि उनकी पार्टी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उतरेगी। ओवैसी ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी केवल सीमांचल (पूर्णिया, सहरसा, किशनगंज, मधेपुरा, कटिहार, अररिया आदि) इलाके में चुनाव लड़ेगी। फिलहाल इसने किसी से कोई तालमेल के संकेत नहीं दिए हैं। बता दें कि सीमांचल में 5 नवंबर को वोटिंग होनी है।
महागठबंधन का गठबंधन ही अल्पसंख्यक वोटरों को एकजूट करने के लिए हुआ है। लेकिन सपा और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के चुनाव मैदान में आने के बाद इनके विखराव से इंकार नहीं किया जा सकता है।

Thursday, September 10, 2015

बिहार:12 अक्टूबर से 5 नवंबर तक पांच चरण में होंगे चुनाव।

बिहार:12 अक्टूबर से 5 नवंबर तक पांच चरण में होंगे चुनाव।
बिहार में विधानसभा चुनाव की
तारीख़ों का बुधवार को एलान हो गया। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी की ओर से की गई घोषणा के बाद मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गया। ज़ैदी के मुताबिक़ पांच चरणों में चुनाव होंगे।
वोटिंग चरण - तारीख़ - विधानसभा सीटें
पहला - 12 अक्टूबर - 49 सीटें
दूसरा - 16 अक्टूबर - 32 सीटें
तीसरा - 28 अक्टूबर - 50 सीटें
चौथा - 1 नवंबर - 55 सीटें
पांचवां - 5 नवंबर -57 सीटें
काउंटिंग 8 नवंबर को होंगे। चुनाव प्रक्रिया 12 नवंबर तक पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
चुनाव आयोग के अहम एलान --
-कमीशन ने खास तैयारियां की हैं। सिक्युरिटी और त्योहार की तारीखों को ध्यान में रखकर ये तैयारियां की गई हैं।
-सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्सेज की तैनाती। सुरक्षा बेहद कड़ी होगी। घुड़सवार पुलिस, हेलिकॉप्टर्स और स्पेशल बोट्स से निगरानी।
-लाइसेंसी हथियारों को इकट्ठा करने के लिए स्पेशल कमेटियां बनाई गई हैं। असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।
-पैसों के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर खास तैयारी। पेड न्यूज और शराब के इस्तेमाल के रोकथाम की खास तैयारी।
-कोशिश रहेगी कि मतदान का रिकॉर्ड टूटे। एक नाम वाले कैंडिडेट्स की वजह से होने वाली गलतफहमी को दूर करने के लिए इस बार ईवीएम पर उनकी फोटोज भी होंगी।
-हर विधानसभा क्षेत्र में दो मॉडल मतदान केंद्र होंगे। मॉडल मतदान केंद्र के जरिए वोटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी।
-चुनाव आयोग का भी कोई सदस्य अगर गलत काम करते पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अन्य अहम आंकड़े
-6.68 करोड़ वोटर्स बिहार में
-243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव
-38 सीटें अनुसूचित जाति के लोगों के लिए
-47 सीटें नक्सल प्रभावित
-38 में से 29 जिले नक्सल प्रभावित
इस बार कड़ा मुकाबला
चुनाव में एक तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का ग्रैंड अलायंस
(जिससे सपा और राकांपा बाहर हो चुकी है) है।
एनडीए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा। रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और जीतनराम मांझी का हिंदुस्तान आवाम मोर्चा एनडीए में शामिल है। वहीं मोदी विरोधी खेमे के नेता मौजूदा
सीएम नीतीश कुमार हैं। इस अलायंस में दूसरे अहम नेता लालू प्रसाद हैं।

डॉ सैयद अहमद क़ादरी : उर्दू साहित्य का चमकता सितारा।

 

फ़ैसल रहमानी

प्रख्यात उर्दू साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ सैयद अहमद क़ादरी को बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा बिहार उर्दू अकादमी, पटना तथा बिहार राज्य उर्दू परामर्श समिति का सदस्य मनोनीत किया गया है। गया निवासी डॉ क़ादरी के के मनोनयन पर गया सहित राज्य भर के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों एवं पत्रकारों आदि ने उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी है।

इनमें पूर्व आईजी मासूम अज़ीज़ काज़मी,मुनाज़िर आशिक़ हरगानवी, मसूद मंज़र अधिवक्ता, प्रो ग़ुलाम समदानी, वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल क़ादिर, वरिष्ठ पत्रकार फ़ैसल रहमानी, मुशर्रफ़ अली ज़ौक़ी, नाज़ क़ादरी, अतहर हुसैन अंसारी, अबुज़र उस्मानी, क़ासिम फ़रीदी, मंसूर अहमद एजाज़ी, ज़हीर सिद्दीक़ी, ख़ुर्शीद हयात, प्रो शाहिद रिज़वी आदि प्रमुख हैं। इनलोगों ने आशा व्यक्त किया कि डॉ सैयद अहमद क़ादरी के मनोनयन से दोनों संस्थाओं में कार्यकारिणी के गठन को लेकर लम्बे समय से चल रहा गतिरोध समाप्त जायेगा। इन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि डॉ क़ादरी अपनी क्षमता से अधिक काम कर उर्दू भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार को गति देंगे।
ज्ञात हो कि डॉ सैयद अहमद क़ादरी की दर्जनों पुस्तकें अबतक प्रकाशित हो चुकी हैं। इन पुस्तकों को पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी, बिहार उर्दू अकादमी सहित कई संस्थानों ने पुरस्कृत किया है। इनकी एक पुस्तक "उर्दू सहाफ़त बिहार में" बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। डॉ क़ादरी को केके बिड़ला फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा फ़ेलोशिप अवार्ड से भी अलंकृत किया जा चुका है। हाल ही में अमेरिका भ्रमण के दौरान इनके सम्मान में कई गोष्ठियों का आयोजन किया गया। वॉयस ऑफ़ अमेरिका, वाशिंगटन ने डॉ क़ादरी से लिये गये साक्षात्कार को अपने आधे घंटे के एक विशेष कार्यक्रम में प्रसारित भी किया था। डॉ क़ादरी लम्बे समय से साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े हैं।

Monday, July 27, 2015

भारत रत्न’ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे ।

जनता के राष्ट्रपति ‘भारत रत्न’ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे इस की सुचना पत्रकार वा भाई Syed Shahroz Quamar ने दी मुझे बहुत अफ़सोस हुआ. अभी कुछ ही घंटा पहले शिल्लोंग गए थे. हमारी मुलाक़ात 2010 में पहली बार Aadil Hasan Azad साथ हुई थी। लगभग एक घंटा समय कैसे बिता पता न चला. जब हमलोग लौटने लगे तो डॉ साहिब ने रोका और खुद वो अंदर जा कर अपनी पुस्तक लाई और भेंट की और बहार तक साथ आये और वहां खड़े अधिकारियों को कहा जब आएं मिलवा ना हम से। उस क बाद कई बार मिला। और हर बार कुछ ना कुछ सीखा।

कुछ समझ मे नहीं आरहा है किया लिखूं किया ना लिखूं बस अल्लाह से दुआ करता हूँ के जन्नतुल फ़िरदौस मैं आला मुक़ाम दे और उन के चाहने वाले को सब्र। डॉ कलाम को रामेश्वरम में सपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की उपलब्धियां:
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति और ‘भारत रत्न’ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत में मिसाइल मैन के नाम से भी जाने जाते थे। 1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में शामिल हुए। कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV 3) बनाने का श्रेय हासिल है। 1980 में कलाम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। उन्हीं के प्रयासों की वजह से भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। 1982 में कलाम रक्षा अनुसंधान विकास संगठन, DRDO से जुड़े। कलाम के नेतृत्व में ही भारत ने नाग, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और अग्नि जैसे मिसाइल विकसित किए। 1997 में डॉ कलाम को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 2002 से 2007 के बीच डॉ कलाम, भारत के 11 वें राष्ट्रपति रहे। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स)
को डिजाइन किया। खास बात यह है कि इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया। एपीजे अब्दुल कलाम ने विंग्स ऑफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स, इंडिया 2020 जैसी कई मशहूर और प्रेरणा देने वाली किताबें लिखी हैं।

"अगर किसी देश को भ्रष्टाचार – मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो ,
मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये कर सकते हैं. पिता, माता और गुरु.
अब्दुल कलाम
मिसाईल मैन
भारत रत्न
शिक्षक
प्रोफेसर
शिक्षा विद
एक महान व्यकित्व
हर दिल अजिज इंसान
पूर्व राष्ट्रपति
डा.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
को नम आंखो से विदाई
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मैं तुम्हे यूं भुला ना पाउंगा
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मेरे लिये ये व्यक्तिगत नुकसान है
जब से होश संभाला है
आपको अपना आदर्श माना है
ऐसे लोगों का शायद ही
कभी धरती पर पदार्पण होता है
मुझे अभी भी विश्वास नही होता की
आप हमारे बीच नहीं है
ऐसे महान आत्मा को शत् शत् नमन
भावभीनी श्रधांजलि

  • रामबाबू साह

फोटो आभार : आदिल के फेस बुक वाल से साथ मे मैं भी दिख रहा हूँ। 



Sunday, June 21, 2015

लोकसभा के डिप्टी स्पीकर करिया मुंडा की टीचर बेटी बेच रही है आम


--फ़ैसल रहमानी

आम बेचने वाली यह महिला आम नहीं है। लगातार आठ बार सांसद व लोकसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके करिया मुंडा की बेटी हैं चंद्रावती सारू। ये पेशे से शिक्षिका हैं। बगीचे में जरूरत से ज्यादा आम हुए हैं तो उन्हें सड़क किनारे बैठकर बेचने में यह बात आड़े नहीं आई कि वे झारखंड के बड़े नेता की बेटी हैं। आठ बार सांसद, चार बार केंद्रीय मंत्री और दो बार विधायक रहे करिया का जीवन आज के राजनेताओं के लिए एक मिसाल है। व्यक्तिगत जीवन बिल्कुल वैसा ही जैसा अब से चार दशक पहले था, जब वह पहली बार सांसद चुने गए थे। झारखंड के आदिवासियों के संसद में अकेले प्रतिनिधि। आज भी गांव आते हैं तो वैसे ही खेतों में हल-कुदाल चलाते हैं तालाब में नहाते हैं। नक्सली हिंसा के लिए देश के सबसे खतरनाक खूंटी जिले में मामूली सुरक्षा के साथ घूमते हैं।

सिमुलतला आवासीय विद्यालय की कामयाबी पर झूमा बिहार




--फ़ैसल रहमानी
Purvanchal Post's photo.
जमुई। नेतरहाट के तर्ज़ पर मिनी शिमला के नाम से मशहूर सिमुलतला जैसे छोटे जगह में सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्रों ने पहले ही साल मैट्रिक की परीक्षा में इतिहास रच दिया है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी किए गए मैट्रिक के रिज़ल्ट में बिहार के टॉप टेन 31 छात्रों में से सिमुलतला आवासीय विद्यालय के 30 छात्र-छात्राओं ने स्थान पाया है। मैट्रिक की परीक्षा में सिमुलतला आवासीय विद्यालय से 108 परीक्षार्थी शामिल हुए थे जिसमें 55 छात्र व 53 छात्राएं हैं। पहली बार मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुए विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बड़ी कामयाबी हासिल की है जिसमें 487 अंक पाकर कुणाल जिज्ञासु व नीरज रंजन बिहार में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। वहीं 485 अंक लाकर अभिनव कुमार, मुकुल रंजन दूसरे स्थान पर रहे हैं। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से सोनू कुमार व विवेक वैभव ने 484 अंक प्राप्त किए हैं। बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 अगस्त 2010 को सिमुलतला आवासीय विद्यालय का उद्घाटन किया था। सिमुलतला आवासीय विद्यालय में छठे क्लास में नामांकन के लिए लगभग 38 हजार छात्रों में से पहले बैच का चयन किया गया था।
मैट्रिक परीक्षा के टॉप टेन की सूची
नाम अंक रैंक
कुणाल जिज्ञासु 487 1 
नीरज रंजन 487 1
अभिनव कुमार 485 2
मुकूल रंजन 485 2
सोनू कुमार 484 3
विवेक वैभव 484 3
मो. आकिब जावेद 483 4
प्रतिभा कुमारी 483 4
मो.अशफाक खालिद 483 4
खुशबू कुमारी 482 5
अभिनव आदर्श 482 5
पल्लवी गुडान 482 5
प्रीति कुमारी 482 5
सूरज कुमार 482 5
शिवम राज 482 5
मुस्कान कुमारी 482 5
अमन कुमार 482 5
शुभम राज 481 6
साकेत कुमार 480 7
विकास कुमार 479 8
कमलेश कुमार 479 8
रोहित कुमार 479 8
कुमार आर्यभट्ट 478 9
अमन कुमार 478 9
अनुराग अंकित 478 9
विवेक कुमार 478 9
कशिश 478 9
अभिषेक कुमार 477 10
धीरज कुमार 477 10

योग दिवस पर बिहार के कदावर नेता लालू प्रसाद ने 22 मिनट के दरम्यान एक के बाद एक 7 ट्वीट किये



आज योग दिवस है तो पक्ष और विपक्ष में बाते तो होगी ही । किन्तु सबसे अधिक कमाल रहा आज बिहार के कदावर नेता लालू प्रसाद ने 22 मिनट के दरम्यान एक के बाद एक 7 ट्वीट किये । आप भी पढ़े वह ट्वीट ...
1.योग जैसे व्यक्तिगत मसले को प्रचार-प्रसार की मदद से मोदी सरकार अपना PR बनाने में जुटी है। ये शरीर को स्वस्थ बनाने का नहीं राजनीति का योग है.
2. बीजेपी के अधिकांश राष्ट्रीय नेताओं,केंद्रीय मंत्रियों,आरएसएस के पदाधिकारियों की तोंद फुली हुई है.भाजपा के नेताओं की चर्बी अधिक बढ़ गयी है.

3. अगर ये भाजपाई योग के इतना ही हिमायती होते जितना की ये शोरगुल मचा रहे है तो इनकी तोंद इतनी नहीं फूलती?
4. योग करने वाले अलग ही दिखते है फिर एकदिन के लिए ये सब ढकोसला क्यों?मैं योग का विरोधी नहीं पर लोगों को बेवकूफ बनाने के पाखंड का धुर विरोधी हूँ
5. हमारे देश में करोड़ों लोग भूखे सोते हैं. रिक्शा चलाने वाले को योग की क्या जरूरत? मजदुर को योग की क्या जरुरत जो दिन भर शारीरिक श्रम करता है.
6. किसान पुरे दिन कसरत करता है, खेत-खलिहान में पसीना बहाता है। उन गरीबो और कमेरे वर्गों को योग की जरुरत नहीं जो मेहनत की रोटी खाते है.
7 जो सुख प्राप्ति का जीवन जी रहा है, पूंजीपतियों को गरीबों का खून चुसवा रहा है, किसानों की ज़मीन निगल रहा है वह योग करेगा और करवाएगा.

Thursday, May 28, 2015

काश! दिलीप सॉरी कह देते तो मधु उनकी हो जाती।





वीर विनोद छाबड़ा 
दिलीप कुमार इश्क के मामले में हमेशा बदक़िस्मत रहे हैं। कामिनी कौशल से उनका लंबा इश्क़ चला। लेकिन कामिनी शादी शुदा थी। उसका पति बीएस सूद बंदूक लेकर सेट के आस पास घूमता रहता। फिर दिलीप किसी शादी-शुदा का घर तोड़ने की तोहमत अपने ऊपर लेना नही चाहते थे। 
दिलीप के दिल को अगला पड़ाव मधुबाला की दहलीज़ पर मिला। दोनों साथ-साथ तराना, संगदिल और अमर कर चुके थे। ‘नया दौर’(१९५७) फ्लोर पर थी। मधु भी जल्दी ही दिलीप के दिल के दरवाजे़ पर दस्तक देने लगी। दोनों बेसाख्ता मोहब्बत में डूब गये। परंतु मधु के निठल्ले पिता अताउल्लाह खान इस रिश्ते के सख़्त खि़लाफ़ थे। उन्हें डर था कि अगर कमाऊ चिड़िया हाथ से उड़ गयी तो दर्जन भर लोगों का परिवार कौन चलायेगा? इसी मुद्दे पर मधु इमोशनल हो जाती और दिलीप कुमार से दूर जाने की कोशिश करती। लेकिन बेमुरुव्वत मोहब्बत दूर होने न देती। मधु की हालत न जीने की थी और न मरने की। ऐसा ही कुछ दिलीप के साथ भी था। मगर मधु के पिता फूटी आंख नहीं सुहाते थे।
बी.आर.चोपड़ा से ‘नया दौर’ की शूटिंग के अनुबंध को लेकर अताउल्लाह खान का झगड़ा हुआ। मामला अदालत तक जा पहंचा। दिलीप ने बी.आर.चोपड़ा के पक्ष में गवाही दी। बताते हैं कि भरी अदालत ने दिलीप ने ऐलान किया कि वो मधुबाला से बेसाख़्ता मोहब्बत करते हैं। असर यह हुआ कि मधुबाला ‘नया दौर’ से बाहर हो गयी और साथ ही दिलीप की ज़िंदगी से भी। बाद में केस भी चोपड़ा के पक्ष में गया। लेकिन दिलीप के कहने पर बी.आर.चोपड़ा ने मधु को जिल्लत से बचाने के लिए केस वापस ले लिया। 
मधु ने किसी से कहा -आपकी चाहत यहां थी। मोहब्बत यहां थी। फिर आपने ऐसा क्यों किया? चोपड़ा साहब का साथ दे दिया। 
मगर दिलीप और मधु एक दूसरे के दिल से नहीं गये। निजी जिंदगी का असर प्रोफेशनल रिश्तों पर नहीं आये। इसके बहाने ‘दोनों मुगल-ए-आज़म’ करते रहे। मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये...इस गाने में मधुबाला ने मानों दिल का हाल कह डाला। एक और सीन था जिसमें दिलीप कुमार एक पंख मधुबाला के चेहरे से छुआ कर मोहब्बत का इज़हार करते हैं। यह तस्वीर विश्व प्रसिद्ध लव सीन में शुमार की गयी। 
मधु के दिल में एक उम्मीद की किरण हमेशा रही। मधु ने दिलीप कुमार को पैगाम भिजवाया - साहेब मैं आपसे शादी करना चाहती हूं। बस एक बार आप अब्बू को सॉरी कह दें। अब्बू आपको गले लगा लेगें। सारे गिले-शिकवे जाते रहेंगे। घर के गोशे-गोशे में शहनाई गूंज उठेगी। आप सेहरा बांध कर आयेंगे। मैं तो कबसे 'कबूल' कहने को बेताब हूं। 
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। सख्त नफरत के चलते दिलीप को अताउल्लाह खान से सॉरी कहना गवारा न था। और मधु बाप को नहीं छोड़ सकती थी। 
ये नामुराद दिल होता ही ऐसा है। बात-बात पर टूटता है और सख़्त इतना कि पत्थर पिघल जाये मगर दिल नहीं। 
दिलीप ने जब १९६६ में सायरा बानो से शादी की तो मधुबाला ने कहा- साहब मेरे हिस्से में थे ही नहीं। जिसका था वो ले गयी। 
२३ फरवरी, १९६९ को मधु तमाम दुख-दर्द और हसरतें लिये इस दुनिया से रुखसत हो गई। उनकी ख्वाईश थी कि उनके जनाज़े में साहेब शामिल न हों। इत्तिफ़ाक़ से उस दिन दिलीप शूटिंग के सिलसिले में बंबई में नहीं थे। जब लौटे तो सीधे मधुबाला की कब्र पर गये और...। 


  • वीर विनोद छाबड़ा  के फेस बुक वाल से आभार 

फरीदाबाद कि बल्लभगढ़ का गाँव अटाली जहाँ कि अल्पसंख्यक खौफ से जी रहे हैं !




नवेद चौधरी
बल्लभगढ़ का एक गाँव अटाली जो की फरीदाबाद स्तिथ है । जहाँ बीते दो दिनों से क़ौमी एकता को ताख में रख कर तनाव बड़ा हुआ है । बात कुछ इतनी सी थी के गाँव के दबंग (जाट और ठाकुर) गाँव में मस्जिद बनने देना नही चाहते जबकि मस्लिम अपनी इबादतगाह बनाने के लिय कई सालों से चंदा वगेरा कर के मस्जिद की तामीर कराना चाहते थे ।
सोमवार को मस्जिद का लेंटर डाला गया जो की दबंगों को नही भाया और नमाज़ पड़ते लोगो पर पथराव शुरू करदिया गया ।।
ठाकुर और जाटो ने पथराव में पहल करते हुए ।काफ़ी लोगो को नुक्सान पोह्चाया।पुलिस के आने के बाद मामला ठंडा हुआ और धारा 144 लगा दी गई ।

रात होते होते लोगो का गुस्सा बढ गया और गाँव में मुस्लिमो के 25 30 घरों गाड़ियों और मस्जिद को आग के हवाले करदिया गया ।कुछ लोगो और बच्चों और दो लड़कियों को जलाने की भी बात सामने आई है ।करीबन 40 50 लोग घायल हुए जिन्हें बल्लभगढ़ सिटी में हस्पताल में भर्ती कराया गया ।कुछ लोग तो इतने डरे सहमे हुए हैं की अपने घरों को वापस जाने तक को तैयार नही हैं साथ ही साथ जैसे थे वेसे ही अपने घर बार छोड़ कर पलायन करने को मजबूर हैं ।लाइट और पंखे जैसे थे वेसे ही खुले छोड़ कर गाँव वाले भागने को मजबूर थे ।।
मस्जिद के छत। पर कई गैस सिलिंडर फाड़ने की भी खबरे आरहीं हैं साथ ही साथ जनता पुलिस प्रशासन की भी नाक़ामी को गिना रही है लोग कह रहें हैं की पुलिस ने हमारा बिलकुल भी साथ नही दिया और न ही हमलावरों को रोका गया ।3 से 4 घंटे तक वो लोग अपनी मनमानी करते रहे और पुलिस तमाशबीन बन कर देखती रही ।
अभी थोड़ी देर पहले की अगर बात करें तो हमे यह पता लगा है की अटाली गाँव में फ़िर से आग ज़नी और फायरिंग हुई है ।।
मेरा सवाल बस इतना सा भाजपा सरकार से की अगर वो अल्प्संखिय्को को सुरक्षा नही दे सकते तो प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए ।जबसे भाजपा सरकार आई तबसे आज तक ऐसे अनेको मामले सामने आये हैं ।।
और इनके निशाने पर अल्पसंख्यक ही हैं फ़िर वो चाहें मुस्लिम हों इसाई हों या फ़िर दलित ।।




खूब हुई विकास की बात यार
अबकी बार दंगो की सरकार
जल्द ही नई अपडेट देने की कोशिश करेंगे


  • नवेद चौधरी के फेस बुक वाल से आभार 


Wednesday, May 27, 2015

मैं बिफ खाता हुं रोक सको तो रोक लो - गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू

गोमांस पर केंद्रीय राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की ‘नागवार सलाह’ पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को यहां कि वे नकवी के इस बयान को आपत्तिजनक मानते हैं कि गोमांस खाने वाले पाकिस्तान चले जाएं। रिजिजू ने इस बयान को अवांछनीय बताया।

केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार एजल की दो दिनी यात्रा पर आए रिजिजू ने पत्रकारों से कहा कि वैसे राज्य जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं, वहां गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बना सकते हैं। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों पर इसे थोपा नहीं जा सकता। यहां बहुसंख्य लोग गोमांस खाते हैं।
     गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू

Tuesday, May 26, 2015

गया ज़िला जदयू अघ्यक्ष पर जानलेवा हमला, 1 की मौत, 2 घायल


          -- फैसल रहमानी
         गया ज़िला जदयू अध्यक्ष अभय कुशवाहा के निवास पर पार्सल बम फटने से 1 व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 2
गंभीर रूप से घायल हो गए। पार्सल बम श्री कुशवाहा के कुजापी स्थित निवास के पते पर भेजा गया था जिसे खोलते ही ज़बरदस्त विस्फ़ोट हुआ जिसमें घर का नौकर मारा गया। घायलों को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के समय श्री कुशवाहा अपने घर पर मौजूद नहीं थे। घटना के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है। इस बीच एसएसपी मनु महाराज ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया और कहा कि हालांकि पार्सल भेजने और पहुंचाने वाले का अभी तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है लेकिन जल्दी ही इसका पता लगा लिया जाएगा। जदयू कार्यकर्ताओं का आरोप है कि राजनीतिक साज़िश के तहत श्री कुशवाहा पर जानलेवा किया गया है।

Monday, May 25, 2015

बंद के दौरान एमसीसी ने 32 ट्रकों को किया आग के हवालेे


                                      
जलता ट्रक
 फैसल रहमानी


   उग्रवाद प्रभावित गया ज़िले के आमस थाना क्षेत्र के बिशुनपुर गांव के समीप दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 (जीटी रोड) पर देर रात प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) यानि एमसीसी के एक हथियारबंद दस्ते ने कोहराम मचाते हुए एक-एक कर 32 ट्रकों में आग लगा दी, जिससे करोड़ों रूपये मूल्य की संपत्ति जलकर नष्ट हो गयी।
                        पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि करीब सौ की संख्या में माओवादियों का हथियारबंद दस्ता बिशुनपुर गांव के समीप जीटी रोड पहुंचा और वहां से गुज़र रहे ट्रकों को रोक कर उन्हें एक-एक कर आग के हवाले कर दिया।
 उल्लेखनीय है कि माओवादियों ने 25 व 26 मई को बिहार बंद की घोषणा की है। माओवादियों यह बंद पिछले दिनों हुए
मआोवादी कि चिट्ठी 
कॉंबिंग ऑपरेशन में मारी गई महिला नक्सली सरिता गंझू की मौत के विरोध में बुलाया था। इस दौरान इस वारदात को अंजाम दिया। बताया जाता है कि प्रशासन ने रेलवे की सुरक्षा बढ़ा दी है। ख़ास कर मगध से होकर गुजरने वाले ट्रेनों पर विशेष निगरानी की जा रही है।

Saturday, May 23, 2015

भारत को नहीं मिल रहा विदेशी निवेश: चीनी अखबार


पेइचिंग 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा खत्म होने के दो दिन बाद चीन सरकार के मुखपत्र ने लिखा है कि भारत को शायद ही विदेशी निवेश मिल पाए। अखबार ने पावर डिप्लोमेसी को मोदी सरकार के एक साल की मुख्य उपलब्धि तो बताया है, मगर यह भी कहा है कि बावजूद इसके भारत में बहुत कम विदेशी निवेश आ रहा है।

चीन सरकार द्वारा चलाए जाने वाले अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने 'दुनिया नाप रहे मोदी के लिए बड़ी चिंता है इकॉनमी' टाइटल से एक ऑपिनियन लिखा है। इस लेख के मुताबिक, 'अगर कोई देश भारत में इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहन देता है, तो ज्यादातर कार्यक्रमों को सरकार खुद ही देखेगी। प्राइवेट बिज़नस सेक्टर तो 
अखबार ने लिखा है, 'भौगोलिक रूप से अच्छी जगह स्थित होने की वजह से भारत को अच्छा डिप्लोमैटिक वातावरण मिला है। नई दिल्ली भले ही इन्वेस्टर्स को यह समझाने की कोशिश करती रहती है कि भारत में बिजनस फायदेमंद है, मगर हकीकत यह है कि मौजूदा हालत इस बात के बिल्कुल उल्टे हैं।'

अखबार ने लिखा है, 'अक्सर वहां बिजली चली जाती है। न तो अच्छी सड़कें हैं और न ही अच्छी बंदरगाहें हैं। वक्त-वक्त पर मजदूर आंदोलन भी होते रहते हैं। इस तरह के खराब हालात के बावजूद वहां निवेश करना बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।'

आर्टिकल में लिखा है कि मोदी सरकार ने इन्वेस्टर्स के लिए स्पेशल इकनॉमिक जोन, फ्री टैक्स जोन और फ्री ट्रेड एरिया मुहैया कराने से जैसे कई कदम उठाए हैं, मगर राज्य सरकारों ने इनका विरोध किया है। अखबार कहता है कि भारत में राज्य सरकारें लोकल इकनॉमिक डिवेलपमेंट के लिए नीतियां अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत को अमेरिका जियोपॉलिटिकल रणनीति के तहत चीन से मुकाबला करने के लिए बढ़ावा दे रहा है, जबकि पेइचिंग अपने पड़ोसी मुल्कों से दोस्ताना रिश्ते रखना चाहता है। अखबार में लिखा है, 'मोदी को इस बात का अहसास है। इसीलिए ऑफिस संभालने के बाद उन्होंने सक्रिय रूप से अंतर्राष्ट्रीय तालमेल बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी थी।'

अखबार ने लिखा है, 'मगर भारत लंबे समय से स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहा है और किसी और बहकावे में आकर किसी की तरफ से लड़ने में उसकी कोई रुचि नहीं है। भारत ने बड़ी सावधानी से कदम उठाया है। जिस वक्त मोदी पुतिन से गले मिल रहे थे, उसी वक्त वॉशिंगटन से भी रिश्ते गहरे कर रहे थे।'


आभार : नव भारत टाइम्स

Friday, May 22, 2015

जंगल राज किसे कहते हैं..?

राकेश यादव


अक्सर सवर्ण और मनुवादी मानसिकता के लोग या अज्ञानता के कारण वैसे दलित पिछड़े जो आर्य व्यवस्था तथा मनुस्मृति को नही जानते दलित पिछडो की सरकार को 'जंगल राज' कहते हैं.
मात्र 15% मनुवादियों की शाषण पिछले हजारों साल से चली आ रही है. विदेशी आक्रमणों के समय भी ये सिर्फ और सिर्फ अपनी स्वार्थ लिप्सा के कारण उनको प्राश्रय दिया करते थे. शाहूजी महाराज के समय से ही दलित पिछडो को सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक क्षेत्र में कुछ अधिकार और सम्मान मिलने लगा. वे पिछडो के लिए विधालय निर्माण, छात्रावास निर्माण, नौकरियों में आरक्षण तथा शिक्षा में आरक्षण को लागू किये जिसका कि बाल गंगाधर तिलक नामक ब्राह्मण ने पुरजोर विरोध भी किया था. ज्ञात हो कि शाहू जी महाराज कोल्हा पुर के पिछड़े वर्ग से आनेवाले और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज थे.
अब उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए बिहार में भूमिहार और ब्राह्मण वर्चस्व को तोड़कर पिछड़े समाज से आने वाले नेता लालू प्रसाद सीएम बने. सामंतवाद का अड्डा बना बिहार को और यहाँ के लोगो को सामंत और सवर्णवाद रुपी मानसिक गुलामी से आज़ादी दिलवाए. जब से बिहार के राजनीति में लालू प्रसाद का प्रादुर्भाव हुआ तब से शान्ति और भाईचारा का एक नया मिशाल कायम हुआ. धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर लालू प्रसाद के कारण 1990 के बाद बिहार में कभी हिंसात्मक दंगा नही हुआ.
अगर ऐसे पिछड़े शाषक और शाषण को 'जंगल राज' कहा जाए तो वाकई में दलित पिछडो के राज माने जंगल राज ही हो सकते हैं.


लेखक बैकवर्ड'स न्यूज़ नवजागरण के सम्पादक हैं।

Wednesday, May 20, 2015

क्राइम रोकने के लिए गया एसएसपी हुए हाईटेक



- फैसल रहमानी

अब किसी मामले में कार्रवाई को लेकर थानाध्यक्षों की मनमानी नहीं चलेगी। अगर आप किसी मामले में थानाध्यक्ष, इंस्पेक्टर व डीएसपी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं तो सीधे एसएसपी मनु महाराज को वाट्सएप पर अपनी शिकायत मैसेज, फ़ोटो व आवेदन भेज सकते हैं एसएसपी तुरंत कार्रवई करेंगे। इसके लिए एसएसपी ने मोबाइल नं. 7543077077 सार्वजनिक किया है। इस पर भेजी जाने वाली सूचनाओं को पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। 
एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि लोगों की सहूलियत के लिए सरकार ने थानाध्यक्षों से लेकर वरीय पुलिस पदाधिकारियों को सरकारी मोबाइल फ़ोन उपलब्ध कराया है। मोबाइल नंबर वर्षों पहले सार्वजनिक किए जा चुके हैं। लेकिन हाल के महीनों में वाट्सएप का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है। ज़िला मुख्यालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित गांवों में रहने वाले लोग भी वाट्सएप का प्रयोग कर रहे हैं। लोगों की सहूलियत को देखते हुए गया पुलिस ने एक नया मोबाइल नंबर 7543077077 सार्वजनिक किया है।

ज़िला मुख्यालय में आने से मिलेगा छुटकारा -
                 एसएसपी ने बताया कि किसी मामले को लेकर शिकायत करने के लिए उनसे मुलाक़ात करने के लिए ज़िला मुख्यालय यानि एसएसपी कार्यालय आने की ज़रूरत नहीं है। अब लोग घर बैठे ही वाट्सएप का प्रयोग कर अपनी शिकायतों को उनके पास पहुंचा सकते हैं। एसएसपी ने बताया कि किसी घटना से संबंधित फ़ोटो, मैसेज या आवेदन की कॉपी भेज सकते हैं। यह सेवा 24 घंटे काम करेगा और सम्बंधित शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी।

टाल-मटोल करनेवाले पुलिसकर्मियों की खुलेगी पोल -
                एसएसपी ने बताया कि  कभी दूर-दराज़ इलाक़े में कोई घटना होने पर टाल-मटोल करने वाले पुलिसकर्मियों की पोल खुल जाएगी। अगर किसी घटना को लेकर किसी व्यक्ति ने फ़ोटो भेज दिया, तो वहां की स्थिति के बारे में तुरंत पता चल जाएगा। संबंधित थाने की पुलिस घटनास्थल पर है या नहीं, इसका भी स्पष्ट पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पुलिसिंग में पारदर्शिता आएगी।
Gaya SP

Tuesday, May 19, 2015

केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को एयरपोर्ट के अंदर जाने से रोका

पटना, (19 मई): एयरपोर्ट पर आज केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को सीआईएसएफ की एक महिला कांस्टेबल ने भीतर जाने से रोक दिया। दरअसल, रामकृपाल यादव एक्जिट गेट से एयरपोर्ट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, मामला टूल पकड़ने पर उन्होंने दूसरे गेट से एयरपोर्ट पर एंट्री की।
केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव आज अपने लाव लश्कर के साथ एयरपोर्ट में एंट्री करने जा रहे थे। तभी गेट पर तैनात महिला कांस्टेबल ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद महिला कांस्टेबल ने तत्काल ही वायरलेस से अपने आला अधिकारियों को घटना की पूरी जानकारी दी। लेकिन, काफी देर तक रामकृपाल अधिकारी की हरी झंडी का इंतजार करते रहे। लेकिन, जब सकारात्मक संकेत नहीं मिले तो उन्होंने दूसरे गेट से एंट्री करने में अपनी भलाई समझी।


मीडिया से बात करते हुये रामकृपाल ने कहा कि मैं जल्दबाजी में एयरपोर्ट के भीतर जा रहा था। मुझे नहीं पता था कि उस गेट से लोगों की एंट्री नहीं है। लेकिन, जैसे ही ज्ञात हुआ मैंने अपनी भूल सुधार करते हुये और दूसरे गेट से भीतर गया। उनका कहना है कि एक केंद्रीय मंत्री की अगवानी के लिये एयरपोर्ट पहुंचे थे।

राहुल : मुझसे बदला लें मगर गरीबों मजदूरों को बख्श दे

कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने अमेठी में फूडपार्क की परियोजना को निरस्त करके मुझसे बदला लिया है। सरकार सबकी होती है। मुझसे बदला लेना है तो चाहे जितना बदला लें मगर प्रधानमंत्री मोदी किसानों और गरीबों से किसी तरह का बदला न लें।

अपने संसदीय क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर अमेठी आए राहुल गांधी ने यहां संग्रामपुर ब्लाक के कसारा गांव में अपनी सांसद निधि से बारातघर समेत 48 विकास कार्यों का लोकार्पण करने के बाद मौके पर आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए राहुल ने कहा कि पहले विपक्ष में बैठने वाले कहते थे कि सारा विकास अमेठी में ही हो रहा है, अब खुद सत्ता में हैं तो कहते हैं कि अमेठी में कोई विकास नहीं हो रहा। उन्होंने पूर्व विधायक अमिता सिंह से भी केन्द्र की मोदी सरकार को खूब खरी-खरी सुनवाई।

मंगलवार को उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी भ्रमण के दूसरे दिन की शुरूआत मुंशीगंज गेस्ट हाउस में किसानों व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक से की। मंगलवार को सुबह राहुल गांधी ने मुंशीगंज गेस्ट हाउस में क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं और आसपास के इलाकों से जुटे किसानों के साथ बैठक शुरू की।

इस बैठक में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नुकसान और उसकी सरकारी स्तर से की जा रही भरपाई के अलावा किसानों की अन्य समस्याओं पर भी गौर किया जा रहा है। गेस्ट हाउस में बड़ी तादाद में किसान इकट्ठा हैं। इस बैठक में पार्टी के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को राहुल गांधी सुन रहे हैं। मौके पर मौजूद 'हिन्दुस्तान' प्रतिनिधि के अनुसार बैठक करने के बाद राहुल गांधी क्षेत्र के भ्रमण पर निकलेंगे। वह किस गांव में जाएंगे अभी यह तय नहीं हुआ है।

बताते चलें कि बदले हुए तीखे तेवर के साथ राहुल गांधी ने सोमवार से अमेठी का तीन दिवसीय दौरा शुरू किया। पहले ही दिन उन्होंने केन्द्र की मोदी सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने अमेठी में प्रस्तावित फूड पार्क की परियोजना को केन्द्र सरकार द्वारा निरस्त किए जाने को क्षेत्रीय जनता ही नहीं बल्कि यूपी का नुकसान बताया। मोदी सरकार को पूंजीपतियों के लिए काम करने वाली सरकार करार देते हुए उन्होंने इस सरकार के पिछले एक वर्ष के कार्यकाल को जीरो नम्बर दिया।

नीतीश कुमार : जनता परिवार के विलय को लेकर प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि जनता परिवार के विलय के लिए अधिकृत मुलायम सिंह यादव को मेरा यह सुझाव होगा कि जितनी जल्दी हो सके विलय की अन्य औपचारिकताओं को लेकर वह बैठक बुलाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जनता को स्पष्ट रूप से यह बताया जाना चाहिए कि क्या हो रहा है और क्या नहीं? जब तक बैठक नहीं होगी तब तक स्पष्ट नहीं होगा कि विलय को लेकर कोई पेच है या नहीं।
जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद नीतीश ने कहा कि मेरी समझ से विलय में कोई तकनीकी पेच नहीं है। सभी छह दलों के अध्यक्षों को शामिल कर मुलायम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी हुई है। उन्हें बैठक कर चुनाव चिन्ह, नाम व स्वरूप पर चर्चा करनी है। सभी दल मिलकर इस बारे में चुनाव आयोग से बात करेंगे।
जनता परिवार के विलय को लेकर प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता परिवार के विलय के प्रति मैं प्रतिबद्ध हूं। विलय की घोषणा तो वैसे भी पहले हो चुकी है। इसलिए इससे पीछे जाने का प्रश्न नहीं है। वैसे इस मसले पर सार्वजनिक रूप से विचार व्यक्त करने से बचना चाहिए।
लालू को नहीं है परेशानी
मुख्यमंत्री से जब जदयू के एनडीए के संग जाने से संबंधित प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा, यह कल्पना से परे है। जानबूझकर भ्रम फैलाने वाली पार्टी यह अफवाह फैलाना चाहती है। यह भी नई तकनीक है कि नकारात्मक बातें बोल कर प्रचार हासिल करो। अरुण जेटली के घर जाकर भोजन करने से संबंधित प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति को इतना नीचे नहीं गिरा देना चाहिए कि इस पर चर्चा हो कि कौन कहां खाता है?

विभिन्न मंत्रालयों के 75 विभागों में ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की सुविधा शुरू !

केंद्र सरकार के दफ्तरों में बाबुओं और अफसरों से मिलने के लिए अब रोजाना चक्कर नहीं काटने होंगे। चाहे मंत्रालय हो या विभाग, सभी को निर्धारित समय पर घर बैठे अपॉइंटमेंट मिलेगा। मुलाकात के लिए तय समय की जानकारी ई-मेल या एसएमएस के जरिए दी जाएगी।
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) ने किसी जरूरतमंद को सरकारी बाबुओं-अफसरों से मिलने के लिए आसान हल निकाला है। इसकी शुरुआत राजधानी में स्थित केंद्रीय मंत्रालयों के 75 विभागों में की गई है। आने वाले समय में देशभर में केंद्र के सभी विभाग के दफ्तर को इसमें शामिल किया जाएगा। साथ ही आम जनता को यह सुविधा मुहैया कराने का सुझाव राज्य सरकारों को भी दिया जाएगा। फिलहाल, विभिन्न मंत्रालयों के 75 विभागों में ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की सुविधा शुरू की है।
इसके लिए http://evisitors. nic.in/public/Home.aspx पर जाकर एक क्लिक करना होगा। जवाब में आपके ई-मेल या एसएमएस पर तय समय पर मिलने का समय दिया जाएगा। एक अधिकारी के मुताबिक, यह आवेदन कोई भी कर सकता है। इसके लिए सबसे पहले वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करके आवेदक को खुद से जुड़ी जानकारी मुहैया करानी होगी। आवेदक को न्यू विजिटर पर क्लिक करके अपना नाम, पता, आईडी कार्ड और जिस मंत्रालय या विभाग के अधिकारी से मिलना है, उसका नाम और वजह भी स्पष्ट करनी होगी।
साथ ही आवेदक अपनी ओर से भी मिलने की तारीख व समय लिख सकता है। हालांकि, दिए समय पर मिलना अधिकारी के व्यस्त नहीं होने पर ही संभव होगा। आवेदक के पास पहुंचने वाले ई-मेल या एसएमएस में एक नंबर मुहैया कराया जाएगा। आवेदक को यह संबंधित विभाग में रिसेप्शन पर देना होगा। यहां आवेदक का फोटो लेकर पास दिया जाएगा। एक बार रजिस्ट्रेशन करा चुके आवेदक को दोबारा प्रक्रिया की जरूरत न होगी।