अल्पसंख्यक वोटरों को अपनी ओर खीचने की राजनीति तेज हो गई है। सपा ने इस के तहत अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार अल्पसंख्यक को बनाने का फैसला किया है। वहीँ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने किसी से गठबंधन के संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। महागठबंधन पहले से ही अल्पसंख्यक वोटरों को अपनी ओर लुभाने के प्रयास में लगी हुई है।
समाजवादी पार्टी और एनसीपी के बीच गठबंधन लगभग अंतिम चरण में है। सूत्रों की माने तो थर्ड फ्रंट के नेता के रूप में सपा एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद तारिक अनवार को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करेगी। इसकी पूरी रणनीति बन गई है, इसकी औपचारिक घोषणा एक दो दिन में की जाएगी।
सीमाचंल के मुसलिम वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए सपा ने फैसला लिया है। राजनीतिक विशलेशक की माने तो सपा इसके तहत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यक को अपने साथ लाने का प्रयास करेगी।
वहीँ सामाजिक कार्यकर्ता सरवर इक़बाल खान कहते हैं कि सेक्युलर वोट यू पी ऐ के साथ है। मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएं गए।
एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एलान किया है कि उनकी पार्टी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उतरेगी। ओवैसी ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी केवल सीमांचल (पूर्णिया, सहरसा, किशनगंज, मधेपुरा, कटिहार, अररिया आदि) इलाके में चुनाव लड़ेगी। फिलहाल इसने किसी से कोई तालमेल के संकेत नहीं दिए हैं। बता दें कि सीमांचल में 5 नवंबर को वोटिंग होनी है।
महागठबंधन का गठबंधन ही अल्पसंख्यक वोटरों को एकजूट करने के लिए हुआ है। लेकिन सपा और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के चुनाव मैदान में आने के बाद इनके विखराव से इंकार नहीं किया जा सकता है।
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