Advertisement

Advertisement

यहाँ भी बहुत कुछ है।

यहाँ भी बहुत कुछ है।

यहाँ भी बहुत कुछ है।

यहाँ भी बहुत कुछ है।

यहाँ भी बहुत कुछ है।

Pages

Friday, April 24, 2015

Sunhari Pahari in Gaya

सुनहरी पहाड़ी
फैसल रहमानी

बिहार के गया ज़िला का नीमचक बथानी गांव आजकल सुनहरी पहाड़ी को लेकर चर्चा में है। वैसे तो ये पहाड़ी बरसों से ख़ामोश पड़ी हुई हैं लेकिन इन दिनों मशीनों की आवाज़ों ने इस ख़ामोशी को झकझोर कर रख दिया है। नक्सली इलाक़े के बावजूद वैज्ञानिक इस पहाड़ी के आसपास डेरा जमा चुके हैं। बड़ी-बड़ी मशीनों से पहाड़ के आसपास दिन रात खुदाई चल रही है। नीमचक बथानी की इस सुनहरी पहाड़ी को गुलेलवा पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। दिन की रौशनी में इस पहाड़ी की चमक अलग ही नज़र आती है।

गुलेलवा पहाड़ी की 9-10 मीटर खुदाई के बाद जो पत्थर निकलते हैं, उनमें सोने के कण देखे जा सकते हैं। पहाड़ी के 10 मीटर के आस पास ऐसे पत्थर निकल रहे हैं जिनके बारे में बताया जा रहा है कि इनमें सोने के कण हो सकते हैं। लेकिन तक़रीबन 70-80 मीटर खुदाई के बाद ऐसा माना जा रहा है कि इसमें तक़रीबन 30% तक सोना मिल सकता है। हालांकि Geological Survey of India अपनी रिपोर्ट का इंतेज़ार कर रहा है लेकिन उम्मीद ये है कि यह पहाड़ सोने का पहाड़ साबित होगा। गुलेलवा पहाड़ी की चमक ने इस सुनसान इलाक़े में वैज्ञानिकों को यहां डेरा डालने पर मजबूर कर दिया है। यहां रात दिन सोने की खान की तलाश की जा रही है। पहाड़ी के टीलों के नीचे से काले पत्थरों को निकाला जा रहा है। इन्हीं काले पत्थरों में सोना मौजूद होने की बात कही जा रही है। हालांकि वैज्ञानिक कुछ बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इन काले पत्थरों के बीच दिखने वाले सुनहरे कण ही सोने के अंश हैं। उन्होंने बताया कि यहां 2010 में भारत सरकार ने सर्वे कराया था जो 2013 तक चलता रहा। सर्वेयर ने बताया था कि यहां के पत्थरों में 30% सोना है। 2013 से चल रहे बोरवेल के दौरान जो नीचे से निकलने वाली मिट्टी या पत्थरों से पता चलता है कि इसमें लगभग 30% सोना है। सरकार कई वर्षों से लगातार अपना ख़र्च वहन कर खुदाई कर रही है। हालांकि भू वैज्ञानिक सोना मिलने के दावे पर कुछ भी बोलने की जल्दी में नहीं हैं। लेकिन अबतक जांच में भेजे गए पत्थरों के नमूने से यह बात ज़रूर सामने आई है कि इस पहाड़ी के 30 फ़ीसदी हिस्से में सोना मौजूद है।

हालांकि इस पहाड़ी के नीचे सोना होने को लेकर रहस्य बना हुआ है। इस दौरान जितने मुंह उतनी बातें सामने आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पहाड़ी के नीचे सोना होने का ताल्लुक़ महाभारत काल के राजा जरासंध से है, जिसका सोने का ख़ज़ाना यहीं यहीं पर दबा है, जो अब जाकर मिला है। महाभारत काल में जरासंध मगध राज्य का नरेश था। जरासंध से भगवान कृष्ण की दुश्मनी जग ज़ाहिर थी। ख़ुद को अजेय साबित करने के लिए उसने कई राज्यों पर आक्रमण करके उनके राजाओं को बंदी बना लिया। जरासंध ने युद्ध में हराए गए राजाओं की अकूत दौलत अपने क़ब्ज़े में ले ली। धीरे-धीरे उसके स्वर्ण भंडार की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई। इलाके के लोगों का मानना है कि नीमचक बथानी का पूरा इलाक़ा जरासंध का स्वर्ण भंडार था। और यही ख़ज़ाना आज सोना बनकर पहाड़ी के नीचे से निकल रहा है। नीमचक बथानी का तेलारी पंचायत एकदम बंजर क्षेत्र है लेकिन गुलेलवा पहाड़ी के कारण यह क्षेत्र अब सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाने लगा है।


एक समय जब इस इलाक़े में सर्वे का काम शुरू हुआ था तो लोगों को लगा कि उनकी ज़मीन लेने की तैयारी की जा रही है। लेकिन लोगों का भ्रम वक़्त के साथ दूर हो गया। आज गया की यह ज़मीन सोने की उम्मीद से लहलहा रही है। हो सकता है कि समय करवट बदले और गया बौद्धनगरी तथा नक्सलनगरी के अलावा स्वर्णनगरी के नाम से भी जाना जाने लगेगा।

0 comments:

Post a Comment